मंत्रिपरिषद

मंत्रिपरिषद

संविधान का अनुच्छेद 74 यह कहता है कि प्रधानमंत्री के साथ एक मंत्रिपरिषद होगी। ये राष्ट्रपति की मदद करेंगे एवं उसे सलाह देंगे ।राष्ट्रपति इनकी सलाह से काम करेगा।

संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त किया जाएगा। दूसरे मंत्री राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह से नियुक्त किए जाएँगे।

मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बने रहेंगे। लेकिन लोकसभा में बहुमत होने के कारण उनकाे हटाया नहीं जा सकता। वास्तव में संविधान के अनुसार मंत्री सामूहिक रूप से लोक सभा के लिए उत्तरदायी होते हैं।

जब लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पास करती है तो संपूर्ण मंत्रिमंडल को प्रधानमंत्री सहित त्यागपत्र देना पड़ता है। अविश्वास प्रस्ताव एक विधायिका शक्ति है जिसे लोक सभा में मंत्रियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह मंत्रिपरिषद में विश्वास की कमी को इंगित करता है। मंत्रिपरिषद की कार्यप्रणाली प्रधानमंत्री की कार्यप्रणाली के समान है।

कैबिनेट या मंत्रिपरिषद मंत्रियों का एक विशाल अंग होती है। पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि कैबिनेट स्तर के 20 या 25 लोगों ने महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों को सँभाल रखा है।

इसके बाद मंत्रियों का एक समूह आता है, जिन्हें राज्यमंत्री कहा जाता है। इनमें से कुछ के पास मंत्रालय के महत्त्वपूर्ण प्रकार होते हैं। उनमें से कुछ कैबिनेट मंत्रियाें से जुड़े रहते हैं। कैबिनेट की मीटिंग में कैबिनेट स्तर के मंत्री ही उपस्थित होते हैं। यदि जरूरत होती है तो इस प्रकार की मीटिंग में भाग लेने के लिए राज्य मंत्रियों काे भी बुलाया जा सकता है।

 मंत्री तीन श्रेणी के हाेते हैं- कैबिनेट, राज्य एवं उपमंत्री। कैबिनेट मंत्री विभाग के अध्यक्ष होते हैं।

मंत्रियों को किसी सदन के सदस्यों में से लिया जा सकता है। मंत्री जो कि किसी सदन का सदस्य
है उसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह दूसरे सदन के बारे में बात कर सके या उसकी गतिविधियों में भाग ले सके। लेकिन वे जिस सदन के सदस्य नहीं हैं, उसमें मतदान नहीं कर सकते हैं।

पद ग्रहण से पहले प्रधनमंत्री सहित प्रत्येक मंत्री को राष्ट्रपति के सामने पद और गोपनीयता की शपथ लेनी होती है।

सभी मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और उपमत्रियों को निःशुल्क आवास व अन्य सुविधएँ प्राप्त होती हैं।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल में सबसे लंबी अवधि तक जगजीवन राम (32 वर्ष तक) रहे।

एक व्यक्ति जो किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, वह 6 माह से ज्यादा समय के लिए मंत्री नहीं बन सकता है जब तक कि वह संसद के किसी सदन में चुनाव द्वारा या नामांकन द्वारा एक सीट अर्जित न कर ले। -अनुच्छेद 75(5)

मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी हाेगी।- अनुच्छेद 75 (3)

अनुच्छेद 75(2) वैयक्तिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत का प्रतिपादन करता है। इसके अनुसार काेई भी मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बना रहता है।

प्रधानमंत्री

संविधान का अनुच्छेद 74 एवं 75 प्रधानमंत्री की नियुक्ति, उसके कार्यकाल की अवधि एवं उसकी जिम्मेदारियों के बारे में बताता है।

अनुच्छेद 74(1) यह कहता है कि ‘‘प्रधानमंत्री के साथ एक मंत्रिपरिषद होगी, प्रधानमंत्री इसका प्रधान हाेगा। प्रधानमंत्री
राष्ट्रपति को सलाह देगा। राष्ट्रपति सलाह के अनुसार कार्य करेगा।’’

अनुच्छेद 75(1): प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा। दूसरे मंत्री प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त किए जाएँगे।

प्रधानमंत्री एक श्रेष्ठ स्थिति में रहता है। राष्ट्रपति के बाद उसी का स्थान आता है।

प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के लिए मुख्य सलाहकार की भूमिका अदा करता है। उसके पास बहुत सारी शक्तियाँ रहती हैं।

 वह एक वास्तविक कार्यकारी प्रमुख है।

दूसरे मंत्रियों की तरह वह भी लाेकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है। व्यक्तिगत रूप से वह राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होता है।

प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं कैबिनेट के मध्य एक कड़ी के रूप में काम करता है।

अनुच्छेद 78: प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को दी जाने वाली सूचना के संदर्भ में कर्तव्य का उल्लेख करता है।

लोक सभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है। परंतु जब लोकसभा में किसी भी दल को बहुमत नही प्राप्त होता है तो राष्ट्रपति स्वविवेक से प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है।

प्रधानमंत्री लोकसभा में शासन संबंधी प्रमुख नीतियों व कार्यो की घोषणा करता है। वह लोक सभा के सदस्यों द्वारा गंभीर मुददों से संबंधित पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देता है।

राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति प्रधानमंत्री के सलाह द्वारा ही की जाती है।

 प्रधानमंत्री नीति आयोग का अध्यक्ष होता है।

‘भारत रत्न’, ‘पद्म विभूषण’, ‘पद्म भूषण’ एवं ‘पद्म श्री’ आदि उपाधियाँ प्रधानमंत्री की स्वीकृति पर ही दी जाती हैं।

भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री: नरेन्द्र दामाेदर दास मोदी

भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री : इंदिरा गांधी दो अलग-अलग अवधियों में प्रधानमंत्री पद पर रहने वाली एक मात्र प्रधनमंत्री भी रहीं।

जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। उनका कार्यकाल सबसे लंबा (16 साल 9 माह 13 दिन तक) रहा।

गुलजारी लाल नंदा भारत के प्रथम एवं केवल कार्यकारी प्रधानमंत्री थे। ये दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे।

लालबहादुर शास्त्री भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे जिनका विदेश-यात्रा के दौरान ताशकंद में निधन हुआ।

चौधरी चरणसिंह भारतवर्ष के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्हाेंने अपने कार्यकाल के दौरान संसद का सामना नहीं किया।

माेरारजी देसाई भारतवर्ष के सबसे बुजुर्ग प्रधानमंत्री एवं राजीव गांधी सबसे युवा प्रधानमंत्री थे।

अटल बिहारी बाजपेई सरकार (मई 1996- जून 1996) का सबसे कम कार्यकाल (13 दिन का) रहा।

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