HISTORY

SINDHU GHATI SABHYATA सिंधु घाटी सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता (Sindhu Ghati Sabhyata)

❖इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं।

❖यह कांस्य युगीन सभ्यता

❖चार्ल्स मेसन ने 1826 ई. में सबसे पहले इस सभ्यता की ओर ध्यान आकर्षित किया।

❖जॉन बर्टन व विलियम बर्टन – 1856 ई . में हड़प्पा का सर्वे किया।

❖कालक्रम – 2600 से 1900 ई.पू. (नवीन NCERT)

2250 से 1750 ई. पू. (पुरानी NCERT)

❖पिग्गट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को सिंधु सभ्यता की जुड़वा राजधानी बताया।

❖धोलावीरा एवं राखीगढ़ी भारत में सबसे पुरातन स्थल।

हड़प्पा संस्कृति का विकास ताम्र पाषाणिक पृष्ठभूमि में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ।

हड़प्पा संस्कृति का विकास पश्चिम में बलूचिस्तान स्थित सुतकागेंडोर ,पूर्व में आलमगीरपुर, दक्षिण में दैमाबाद तथा उत्तर में मांडा तक है।

इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी. है ,जो त्रिभुजाकार है।

मिश्र और मेसोपोटामिया के समकालीन सभ्यता।

नगर नियोजन व जल निकासी व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध।

हड़प्पा सभ्यता का पता सर्वप्रथम 1921 ई.को हड़प्पा नामक स्थान से चला।

❖भारत मे सबसे ज्यादा हड़प्पा सभ्यता के स्थल मिले हैं।

❖अफगानिस्तान में सबसे कम हड़प्पा सभ्यता के स्थल मिले।(मुशोजी अफगान गये)

मु – मुण्डीगाक

शो – शौर्तुगोई – यहाँ से नहरों क प्रमाण मिले |

❖भारत में सबसे अधिक गुजरात मे हड़प्पा सभ्यता के स्थल मिले हैं। जैसे – लोथल ,सुरकोटड़ा, धौलावीरा , रंगपुर ,रोजदी, मालवण।

❖हरियाणा – राखीगढ़ी ,बनवली ,कुनाल व मीताथल |

❖पंजाब – रोपड़ ,बाडा व संघोल |

❖उत्तरप्रदेश – आलमगीरपुर ,बडगांव व अम्बखेडी |

❖जम्मू कश्मीर – मांडा 

❖महाराष्ट्र – देमाबाद 

❖ राजस्थान – कालीबंगा 

नगर नियोजन –

❖उत्कृष्ट नगर व्यवस्था

❖नगर ग्रिड पध्दति पर आधारित थे अर्थात शतरंज के बोर्ड की तरह सभी नगरो को बसाया।

❖मार्ग / सड़के समकोण पर काटती थी।

❖जल निकासी हेतु उत्कृष्ट नाली व्यवस्था।

❖कालीबंगा से लकड़ी के नाली का साक्ष्य प्राप्त।

❖कच्ची व पक्की ईंटो का प्रयोग । ईंट का आकार 1 : 2 : 4

❖नगर दो भागों में विभाजित 

प्रथम भाग – दुर्गीकृत जिसमे राजा या शासक रहते थे।

द्वितीय भाग – सामान्य जिसमे मजदूर , कारीगर ,व्यापारी 

कृषि

❖खेती व्यवस्था प्रमुख कार्य।

❖कालीबंगा से जुते हुए खेतो का साक्ष्य।

❖एक साथ दो दो फसले बोने का साक्ष्य कालीबंगा से प्राप्त।

❖उत्तर हड़प्पा काल मे चावल के साक्ष्य प्राप्त।

❖नहरों के साक्ष्य भी प्राप्त।

❖धौलावीरा से कृत्रिम जलाशय का साक्ष्य।

❖हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से विशाल अन्नागार के साक्ष्य।

पशुपालन

❖बैल, भैस , बकरी ,खरगोश ,कुत्ता आदि पालतू जानवर।

❖मोहरो पर कूबड़ वाले बैल का अंकन ।

❖घोड़े व ऊँट से ज्यादा परिचित नही।

❖सुरकोतड़ा से घोड़े की अस्थियों के अवशेष प्राप्त।

उद्योग

❖चन्हूदड़ों एवं लोथल से मनके बनाने का कारखाना।

❖चाक पर बर्तन बनाने का कार्य।

❖बर्तनों को आग से पकाने की व्यवस्था।

❖भट्टे के साक्ष्य। कच्ची व पक्की ईंटो का प्रयोग।

❖लकड़ी के कारखाने के साक्ष्य।

❖सोना , चांदी , ताँबा , टिन से परिचित।

❖बहुमूल्य पत्थर कार्ने लियोन का प्रयोग।

धार्मिक स्थिति

❖बहुदेववाद में विश्वास ।

❖मूर्ति पूजा करते थे।

❖अग्निकुंड प्राप्त हुए।

❖मातृदेवियों की मूर्तियाँ मिली ।

❖पशुपति नाथ की मोहर प्राप्त। इस मोहर पर हाथी ,चीता ,भैसा , गैड़ा  के चित्र मिले।( ट्रिक  – हाची भागे )

❖सर जॉन मार्शल ने सर्वप्रथम इसे पशुपतिनाथ कहा ।

❖आत्मा की अमरता में विश्वास 

❖हड़प्पा से स्वस्तिक का चिह्न प्राप्त ।

❖लिंग पूजा , यौनि पूजा ,वृक्ष पूजा में विश्वास ।

❖पुनर्जन्म में विश्वास।

❖हड़प्पा से एक मृण्मूर्ति के गर्भ से एक पौधा दिखाया गया है , जो उर्वरता की देवी का प्रतीक ।

सामाजिक स्थिति

❖मातृसत्तात्मक संयुक्त परिवार होते थे।

❖समाज चार भागों में विभाजित 1.पुरोहित वर्ग 2.व्यापारी वर्ग 3.किसान वर्ग 4.श्रमिक वर्ग

❖पुरुष एवं महिलाएं शृंगार करते थे एवं जवाहरात पहनते थे।

❖लोग शाकाहारी व माँसाहारी दोनों थे।

❖शतरंज एवं मुर्गे की लड़ाई इनके प्रिय खेल।

❖अंतिम संस्कार की तीन विधियां का प्रचलन 

1.पूर्ण शवाधान

2.आंशिक शवाधान

3.दाह संस्कार

❖आत्मा व पुनर्जन्म में विश्वास।

❖लोथल से तीन व कालीबंगा से एक युग्मित शवाधान प्राप्त।

आर्थिक स्थिति

❖कृषि आधारित अर्थव्यवस्था।

❖गेँहू , सरसो ,चना ,मटर, रागी प्रमुख फसल।

❖चावल व बाजरे का ज्ञान नही।

❖लोथल से चावल के साक्ष्य प्राप्त।

❖रंगपुर से चावल की भूसी प्राप्त।

❖धौलावीरा से जलाशय का साक्ष्य।

❖गाय ,भैस, भेड़, बकरी, खरगोश, कुत्ता , एवं बिल्ली इनके प्रिय पशु।

❖यह ऊँट ,घोड़ा ,हाथी से परिचित नही थे।

❖सारगोन अभिलेख में सिंधु घाटी सभ्यता को मेलुहा कहा गया ।

❖सारगोंन अभिलेख में कपास को सिंडन कहा गया ।

❖कपास की विश्व मे प्रथम खेती भारत मे हुई।

❖वस्तु विनियम होता था।

❖बालाकोट से शंख उद्योग के अवशेष मिले।

❖माप की दशलमलव प्रणाली।

❖भारत को नाविकों का देश कहा।

मूर्तियाँ एवं मुहरे –

❖तीन तरह की मूर्तियां प्राप्त

1.धातु की

2.पत्थर की

3.मिट्टी की

❖मोहनजोदड़ो से नर्तकी की मूर्ति प्राप्त।

❖दैमाबाद से धातु का रथ।

❖मोहनजोदड़ो से पत्थर की पुरोहित राजा की मूर्ति।

❖टेराकोटा की मातृदेवियों की मूर्तियां।

❖अधिकतर मूर्तियाँ शैलखड़ी की बनी हुई थी।

❖मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से बड़ी मात्रा में मुहरे प्राप्त।

मोहनजोदड़ो

❖स्थिति – लरकाना (सिंध  – पाकिस्तान)

❖नदी – सिंधु

❖उत्खनकर्ता – राखालदास बनर्जी

जिसका सिंधी भाषा में आशय मृतको का टीला होता है।

सिंध प्रान्त के लरकाना जिले में स्थित सैन्धव सभ्यता का महत्वपूर्ण स्थल है।

यहाँ से वृहत स्न्नानागार, अन्नागार के अवशेष, पुरोहित कि मूर्ती इत्यादि मिले है।

हड़प्पा

❖नदी – रावी

❖उत्खनकर्ता – दयाराम साहनी।

❖R -37 नामक कब्रिस्तान प्राप्त।

❖एक शव को ताबूत में दफनाया गया , इसे विदेशी की कब्र कहा जाता है।

❖यहाँ से इक्का गाड़ी प्राप्त ।

❖शृंगार पेटी प्राप्त।

❖टीले पर निर्मित – व्हीलर ने माउंट A -B कहा।

यह पहला स्थान था, जहाँ से सैन्धव सभ्यता के सम्बन्ध में प्रथम जानकारी मिली।

यह पाकिस्तान में पश्चिमी पंजाब प्रान्त के मांटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है।

अर्ध-औद्योगिक नगर’ कहा है।

चन्हूदड़ो

❖स्थिति –यह सैन्धव नगर मोहनजोदड़ो के दक्षिण में सिंध प्रान्त में ही स्थित था।

❖उत्कनकर्ता इसकी खोज 1934 ई० में एन. मजूमदार ने की तथा 1935 में मैके द्धारा यहाँ उत्खनन कराया गया।

❖मनके बनाने के कारखाने , मुहरे बनाने का काम।

❖औद्योगिक नगर।

❖कुत्ते द्वारा बिल्ली का पीछा करने का साक्ष्य प्राप्त।

❖वक्राकार ईंटे प्राप्त हुई।

यहाँ के मनके बनाने का कारखाना, बटखरे तथा कुछ उच्च कोटि की मुहरे मिली है।

यही एक मात्र ऐसा सैन्धव स्थल है जो दुर्गीकृत नहीं है।

लोथल

❖स्थिति – गुजरात 

❖ नदी – भोगवा नदी के तट

❖उत्खनकर्ता – रंगनाथ राव।

जो महत्वपूर्ण सैन्धव स्थल तथा बंदरगाह नगर भी था।

यहाँ से गोदी के साक्ष्य मिले है।

लोथल में नगर का दो भागो में विभाजन होकर एक ही रक्षा प्राचीर से पूरे नगर को दुर्गीकृत किया गया है।

❖मनके बनाने का कारखाना।

❖चावल के साक्ष्य ।

❖घोड़े की मृण्मूर्तियां।

❖चक्की के दो पाट।

❖घरो के दरवाजे मुख्य मार्ग पर खुलते थे ।

❖छोटे दिशा सूचक यंत्र।

कालीबंगा

❖स्थिति – हनुमानगढ़ , राजस्थान

❖नदी – घग्घर नदी के तट।

कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ होता है काली रंग की चूड़ियां।

यहाँ के भवनों का निर्माण कच्ची ईंटो द्धारा हुआ था तथा यहाँ से अलंकृत ईंटो के साक्ष्य मिले है।

जुते खेत, अग्निवेदिका, सेलखड़ी तथा मिटटी की मुहरे एवम मृदभांड यहाँ उत्त्खनन से प्राप्त हुए है।

सुत्कागेंडोर

सैन्धव सभ्यता का यह सुदूर पश्चिमी स्थल पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में स्तिथ है।

यह सैन्धव सभ्यता का पश्चिम में अंतिम बिंदु है।

यहाँ से एक किले का साक्ष्य मिला है, जिसके चारो ओर रक्षा प्राचीर निर्मित थी।

बनावली

हरियाणा के हिसार जिले में स्तिथ इस स्थल से कालीबंगा की तरह हड़प्पा पूर्व और हड़प्पाकालीन, दोनों संस्कृतियों के अवशेष मिले है।

यहाँ से अग्निवेदिया, लाजवर्दमनी, मनके, हल की आकृति, तिल सरसो का ढेर, अच्छे किस्म के जो, नालियों की विशिस्टता, तांबे के वाणाग्र आदि मिले है।

ranuacademy

Recent Posts

REET Level 1 Syllabus 2024 रीट पात्रता परीक्षा लेवल 1 का सम्पूर्ण नया सिलेबस जारी, यहाँ से डाउनलोड करे

REET Level 1 Syllabus 2024: रीट लेवल 1 सिलेबस 2024, REET 2024 Syllabus Level 1 in Hindi: राजस्थान… Read More

2 weeks ago

राजस्थान में नई सरकार के गठन के बाद रीट भर्ती को लेकर आई बड़ी खबर !REET EXAM NEW PATTERN 2024

REET EXAM NEW PATTERN 2024 जैसा कि आप सभी जानते हैं राजस्थान में हर साल… Read More

1 month ago