भाग 6 राज्य

भाग 6 राज्य (अनुच्छेद 152-237)

राज्यपाल (अनुच्छेद 153-162)

❖ राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। (अनुच्छेद 155)
❖ भारतीय संसदीय प्रणाली के अंतर्गत राज्यपाल राज्य व्यवस्थापिका का अभिन्न अंग होता है।
❖ एक ही राज्यपाल एक से ज्यादा राज्यों में राज्यपाल का पदभार ग्रहण कर सकता है। (अनुच्छेद 153-162)
❖ संविधान के अनुच्छेद 156 के अनुसार राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद पर बना रहता है।
❖ राज्यपाल पाँच वर्ष के लिए नियुक्त किया जाता है।

 योग्यताएँ

1.उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
2. कम से कम 35 वर्ष की उम्र हो।
3. अपने कार्यकाल के दौरान किसी लाभ के पद पर न हो।

❖ राष्ट्रपति की तरह राज्यपाल राज्य विधि के अंतर्गत सजा पा चुके व्यक्तियों को माफ कर सकता है या उनकी सजा स्थगित कर सकता है (अनुच्छेद – 161)
❖ राज्यपाल की पदावधि् के दौरान उसके विरुद्ध किसी भी न्यायालय में किसी प्रकार की आपराधिक कार्यवाही प्रारंभ नहीं की जा सकती।
❖ संविधान के अनुच्छेद 163 के अंतर्गत राज्यपाल के पास विवेकाधीन शक्तियाँ होती हैं। न्यायालय उसकी विवेकाधीन शक्तियों पर प्रश्न चिह्न नहीं लगा सकता है।
❖ संविधान के अनुच्छेद 171 के अनुसार राज्यपाल साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन एवं सामाजिक सेवाआें में से कुछ लाेगों काे नामांकित कर सकता है।
❖ राज्यपाल अध्यादेशों को जारी कर सकता है।

मुख्यमंत्री

❖राज्य में निर्वाचित सरकार का प्रमुख मुख्यमंत्री हाेता है जिसकी नियुक्ति राज्यपाल करता है।

❖ जिस राजनीतिक दल का विधान सभा में बहुमत होता है, उसी के नेता काे मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया जाता है, लेकिन यदि विधान सभा में किसी भी राजनीतिक दल का बहुमत नहीं होता ताे राज्यपाल स्वविवेक से मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है।

❖ मुख्यमंत्री कब तक कार्य करेगा इसका कुछ भी निश्चित नहीं है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि केन्द्र में उसी के दल की सरकार है या किसी और दल की सरकार है।

❖मुख्यमंत्री के चयन में तथा यहाँ तक कि उसके मंत्रियों के चयन में उसके राजनीतिक दल के प्रमुखों का दबाव बना रहता है।

शक्तियाँ एवं कार्य

❖ मुख्यमंत्री राज्यपाल के माध्यम से मंत्रियों की नियुक्ति करवाता है। उनमें किसी प्रकार का मतभेद उत्पन्न हाेने पर उनके बीच समन्वय स्थापित करता है।
❖ विधान सभा का मुख्य नेता होने के कारण विधानमंडल, राज्यपाल तथा मंत्रिपरिषद के मध्य संपर्क सूत्र का कार्य करता है।
❖ मुख्यमंत्री की सलाह पर ही राज्यपाल द्वारा की जाने वाली सभी नियुक्तियाँ संचालित होती हैं।

उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 214-232)

❖ उच्च न्यायालय किसी राज्य का प्रधान न्यायाधिकरण होता है।
❖ संविधान के अनुच्छेद 214 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय हाेगा।
❖ किसी राज्य में न्यायपालिका के अंतर्गत उच्च न्यायालय एवं अधीनस्थ न्यायालय आते हैं।
❖ संसद एक या ज्यादा राज्यों के लिए और एक या ज्यादा संघशासित क्षेत्रों के लिए एक सर्वनिष्ठ उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकता है। (अनुच्छेद 215)
❖ भारत में कुल इक्कीस उच्च न्यायालय हैं।
❖ कोलकाता उच्च न्यायालय भारत का सबसे पुराना उच्च न्यायालय है। इसकी स्थापना सन् 1862 में की गई। मुंबई उच्च न्यायालय एवं मद्रास उच्च न्यायालय भी इसी वर्ष स्थापित हुए।
❖ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, उत्तराखंड (नैनीताल) उच्च न्यायालय एवं झारखंड उच्च न्यायालय (राँची) सन् 2000 में स्थापित किए गए

पंचायती राज (अनुच्छेद 243-0)

❖ स्वंतत्र भारत में पंचायती राज का शुभारम्भ 2 अक्टूबर, 1959 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्रा जवाहर लाल नेहरू ने राजस्थान राज्य के नागौर जिले में किया।
❖ 73 वें संविधान संशाेधन एक्ट, 1993 के बाद पंचायती राज अधिनियम का निर्माण करने वाला प्रथम राज्य कर्नाटक है।
❖ 1991- पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव सरकार राज्य सभा ने बिल काे स्वीकार किया।
❖ 1993-20 अप्रैल, 1993 में 17 राज्याें की स्वीकृति के बाद भारत के राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर किए।
❖ इसने पंचायत राज तंत्र को एक संवैधानिक आधार प्रदान किया।
❖ संशोधन के बाद संविधान की 11 वीं अनुसूची के साथ पंचायती राज को जाेड़ा गया।
❖ संविधान के अनुच्छेद 243( ) में पंचायतों से संबंधित 29 मदें सम्मिलित हैं। स्थानीय शासन का त्रिचक्रीय तंत्र
❖ ग्राम पंचायत-ग्राम स्तर पर
❖ पंचायत समिति-ब्लाॅक स्तर पर
❖ जिला परिषद-जिला स्तर पर
❖ नागालैंड, मेघालय आैर मिजोरम के सिवाय सारे राज्यों में पंचायती तंत्र उपलब्ध कराया गया है।
❖ दिल्ली के सिवाय इसका सारे संघशासित क्षेत्रों में अस्तित्व है।
❖ पंचायत तंत्र उन सभी राज्याें में उपलब्ध कराया जाता है जिसकी जनसंख्या 2 मिलियन से ज्यादा होती है।
❖ प्रत्येक पंचायत इसकी पहली मीटिंग की तारीख से पाँच वर्ष तक चल सकती है।

प्रमुख कार्य एवं अधिकार :

❖ पंचायत समिति द्वारा नियोजन कार्यों के क्रियान्वयन हेतु ब्लाक स्तर पर बी.डी.ओ. के अधीन सहायक अधिकारी तथा ग्राम विकास कर्मचारी होता है।
❖ पंचायत समिति द्वारा क्षेत्राय विकास के लिए योजना एवं कार्यक्रमाें का संचालन किया जाता है तथा राज्य सरकार की सहमति से इसे लागू किया जाता है।
❖ इसके माध्यम से सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन होता है।
❖ यह सबंधित क्षेत्र में स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, स्वच्छता एवं संचार व्यवस्था आदि के विकास हेतु प्रमुख रूप से कार्य करती है।
❖ पंचायत समिति ग्राम सभा के कार्यों का निरीक्षण करने के साथ ही ग्राम पंचायत के बजट पर भी विचार करती है। आवश्यकतानुसार महत्त्वपूर्ण सुझाव भी देती है।

नगरपालिका   (अनुच्छेद 243 (त) से 243 (य, छ))

❖ संविधान का भाग 9 (क) अनुच्छेद 243 त से य, छद्ध शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन का एक संवैधानिक आधार प्रदान करता है।
❖ नगरपालिका के लिए अधिकांश प्रावधान संविधान के भाग 9 में उल्लिखित प्रावधानों के समान हैं। जैसेः संरचना, सीटों का आरक्षण, कार्य प्रणाली, आय का स्त्रोत इत्यादि।
❖ नगर पंचायत ऐसे क्षेत्रों के लिए होती है जो ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में परिवर्तित होते हैं।
❖ नगर परिषद एक अपेक्षाकृत छोटे शहरी क्षेत्र के लिए होती है।
❖ नगर निगम एक अपेक्षाकृत बड़े शहरी क्षेत्र के लिए होता है। यह सर्वोत्कृष्ट शहरी स्थानीय निकाय है।
❖ एक नगरपालिका के सदस्य सामान्यतया प्रत्यक्ष मतदान के द्वारा चुने जाते हैं।
❖ किसी राज्य की विधायिका नगरपालिका में प्रतिनिधित्व प्रदान करती है उन व्यक्तियों को जिनका नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव होगा।
❖ भारत में नगरनिकाय प्रशासन पहली बार मद्रास में सन् 1688 में शुरू हुआ। सन् 1726 में मुंबई और कलकत्ता कार्पोरेशन की स्थापना हुई।
नगरपालिका के कार्य :
❖ आर्थिक, सामजिक विकास हेतु योजनाओं का क्रियान्वयन।
❖ समाज के पिछडे़ वर्ग के विकास हेतु कार्य करना। विकलांग तथा मानसिक तौर पर विक्षिप्त व्यक्तियों की मदद हेतु उचित व्यवस्था करना।
❖ नगरीय सुख-सुविधएँ, जैसे कि सड़क मरम्मत, बिजली, पीने का पानी, सीवरेज आदि की उचित व्यवस्था करना।

केंद्र एवं राज्यों के संबंध (अनुच्छेद 245-263)

सन् 1983 में केन्द्र-राज्य संबंधों में सुधार के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने सरकारिया आयोग का गठन किया। इस आयोग ने 1988 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें केन्द्र राज्य संबंधें में सुधार हेतु निम्नलिखित संस्तुतियाँ थीं-

(1) एक स्थायी अंतर्राज्यीय परिषद ;अनुच्छेद – 263द्ध का गठन किया जाना चाहिए, जिसमें राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हो।
(2) करों की वसूली एवं बँटवारे द्वारा भी केन्द्र एवं राज्यों के बीच वित्तीय संबंध् निर्धारित किया जाता है। यह संबंध् निम्न प्रकार के होंगे-
(क) ऐसे कर जो संघ द्वारा अध्रिपित एवं संग्रहित किए जाते हैं। परंतु उन्हें राज्यों के हवाले कर दिया जाता है। जैसे- कृषि भूमि कर, उत्तराध्किर कर, संपत्ति पर कर, समाचार पत्रों पर कर इत्यादि।
(ख) ऐसे कर जिसका अध्रिपण संघ द्वारा तो किया जाता है किन्तु उनका संग्रहण व उपयाेग राज्यों द्वारा किया जाय। जैसे- दवाइयों एवं मादक द्रव्यों पर कर, विनिमय, हुण्डी, चेक आदि पर कर।
(ग) ऐसे कर जिन्हें संघ द्वारा अध्रिपित एवं संग्रहित तो किया जाय परंतु उनका बँटवारा केन्द्र एवं राज्यों के बीच किया जाय। जैसे- आयकर, दवाएँ तथा शृंगार की वस्तुओं आदि पर।
(3) राज्यों द्वारा संघ की संपत्ति पर संसद द्वारा कानून बनाए जाने पर ही कर लगाया जाए। यही नहीं संसद की अनुमति के बिना रेलवे या भारत सरकार द्वारा उपयोग की जाने वाली बिजली पर काेई कर नहीं लगाया जा सकता।
(4) राज्यों को विकास योजनाआें को लागू करने, बाढ़, भूकम्प एवं सूखे की स्थिति से निबटने तथा बजट घाटा दूर करने के उद्दे्श्य से केन्द्र सरकार द्वारा अनुदान दिया जाए।
अनुच्छेद 262 : अन्तरार्ज्यीय नदियाें एवं नदी-घाटियों के जल से संबद्ध विवादों का निर्णय करता है।
अनुच्छेद 263 : अन्तरार्ष्ट्रीय समिति वित्त, संपत्ति, संविदा एवं वाद ;अनुच्छेद 264-300;कद्धद्ध
अनुच्छेद 266ः भारत का संयुक्त कोश
अनुच्छेद 267ः भारत का आकस्मिक कोष

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