Cbse Class 8 Social Science Notes (कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान)

Cbse Class 8 Social Science Notes (कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान)

भाग 1 भूगोल

अध्याय 1. हमारा भारत

❖भारतीय उपमहाद्वीप भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक अलग ही स्वतंत्र भौगोलिक प्रदेश के रूप में नजर आता है।

❖ भारत के उत्तर पश्चिम में किर्थर, सुलेमान और हिन्दुकुश पर्वत श्रंखला है , जहां से उत्तर पूर्व तक हिमालय पर्वत श्रंखला विद्यमान है। 

❖ उत्तर पूर्व में अराकान योमा की पहाड़ियां जो पश्चिम म्यानमार में बंगाल की खाड़ी के तट के साथ-साथ दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ते हुए हिमालय से मिल जाती है।

❖ऊंची और दुर्गम पर्वत श्रृंखलाएं शेष एशिया से भारतीय उपमहाद्वीप को अलग करती है।

❖दक्षिणी भारत एक प्रायद्वीप विस्तार है जिसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी , पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिंद महासागर स्थित है ।

❖दक्षिण एशिया के इस प्रदेश की हर दिशा अभेद्य और दुर्गम्य होने से इस क्षेत्र को भारतीय उपमहाद्वीप कहा जाता है।

❖ऐसा सतत विस्तृत भू-भाग जो प्राय: चारों ओर से विशाल जल राशि से घिरा हो महाद्वीप के नाम से जाना जाता है।

❖महाद्वीप में ही स्थित ऐसा प्रदेश जो भौगोलिक, सांस्कृतिक या पर्यावरणीय दृष्टि से स्वतः पूर्ण हो उपमहाद्वीप कहलाता है।

❖भारतीय उपमहाद्वीप भौगोलिक रूप से एशिया महाद्वीप का एक विशिष्ट प्रदेश है।

❖इसकी भौगोलिक स्थिति और बनावट ने इसे एक विशिष्ट मानसूनी जलवायु प्रदान की है । इस कारण से इसे मानसूनी प्रदेश भी कहा जाता है।

❖उत्तर में हिमालय की ऊँची पर्वत शृंखलाएँ भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा कराने में सहायक है। साथ ही साइबेरिया से आने वाली ठंडी हवाओं से हमारी रक्षा करती है।

❖हिमालय और हिंदूकुश पर्वत श्रृंखलाओं की अनुपस्थिति में भारतीय उपमहाद्वीप एक विस्तृत मरुस्थल होता ।

❖इन्हीं पर्वतों से निकलती नित्यवाही नदियों से गंगा सिन्धु और ब्रह्मपुत्र के विस्तृत मैदानों की रचना हुई , जिनके आँचल में प्राचीन हिंदू और गंगा घाटियों की सभ्यता का विकास हुआ ।

❖भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर पश्चिम और उत्तर पूर्व में ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं के बीच कई संकरी घाटियां या दर्रे मौजूद थे । इन्हीं दर्रो के रास्तों से विभिन्न कालों में विदेशी मानव भारतीय उपमहाद्वीप पहुंचा , इनमें खेबर व बोलन प्रमुख दर्रे हैं ।

❖उत्तर में स्थित दर्रो से तिब्बत के रास्ते खुले । पूर्वोत्तर के दर्रो द्वारा म्यांमार के श्यान पठार से विदेशी मानव उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में भारत आया और बाद में भारत के अन्य क्षेत्रों में फैल गया ।

विश्व मानचित्र पर भारत की स्थिति –

❖भारत विश्व मे उत्तरी – पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित

❖दक्षिण से उत्तर की ओर अक्षांशीय विस्तार – 8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तरी अक्षांश।

❖पश्चिम से पूर्व देशांतरीय विस्तार – 68°7′ पूर्व से 97°25′ पूर्वी देशांतर।

❖82°30′ पूर्वी देशांतर रेखा से भारत का मानक समय निर्धारित।

❖भारत सम्पूर्ण विश्व के स्थल भाग के 2.47 % भाग पर फैला हुआ ।

❖भारत का विस्तार उत्तर में जम्मू कश्मीर से दक्षिण में कन्याकुमारी तक 3214 किलोमीटर एवं पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से पश्चिम में गुजरात तक 2933 किलोमीटर है।

❖भारत मे सबसे बड़ा राज्य राजस्थान व सबसे छोटा राज्य गोवा।

❖जनसंख्या की दृष्टि से भारत चीन के बाद दूसरा देश। विश्व की जनसंख्या का लगभग 17.5% 

भारत का भौतिक प्रदेश –

❖भारत को 6 प्रमुख भौतिक प्रदेश में बांटा गया है-

1.उत्तरी और उत्तरी पूर्वी पर्वतीय प्रदेश (हिमालय पर्वत)

2.गंगा का मैदानी प्रदेश

3.दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार

4.तटीय मैदान

5.थार का मरुस्थल

6.द्वीप समूह

1.उत्तरी और उत्तरी पूर्वी पर्वतीय प्रदेश –

❖2500 किलोमीटर लंबी पर्वत शृंखला में विस्तृत।

❖विश्व की सबसे ऊँची व नवीन पर्वतमाला ।

❖हिमालय दक्षिण से उत्तर की और क्रमशः तीन समांतर श्रेणीयों में विभक्त

1.शिवालिक

2.मध्य हिमालय

3.हिमाद्रि या वृहत हिमालय

❖भारत के अधिकांश बहु भाग पर मानसूनी पवनो से वर्षा होती है।

2.गंगा का मैदानी प्रदेश

❖गंगा , सतलज और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से निर्मित प्रदेश

❖नवीन मिट्टी के कारण भारत का सर्वाधिक उपजाऊ प्रदेश।

❖भारत मे सर्वाधिक कृषि इस भू भाग में होती है।

❖भारत का यह प्रदेश अन्न भंडार कहलाता है।

❖भारत की सर्वाधिक जनसंख्या यहाँ निवास करती है।

❖खादर – नवीन जलोढ़ मिट्टी (खान)

❖बागर – पुरानी जलोढ़ मिट्टी (बापू)

❖भाबर – कंकड़ – पत्थर के मैदान

❖तराई – दलदली मैदान।

दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार

❖गंगा मैदान के दक्षिण में त्रिभुजाकार आकृति में विस्तृत।

❖उत्तरी सीमा पर – विन्ध्य पर्वत श्रेणी

❖उत्तर – पश्चिम में – अरावली

❖पश्चिम में – पश्चिमी घाट की पहाड़ियां।

❖पूर्व में – पूर्वी घाट  की पहाड़ियां

❖दक्षिण में – लीलगिरी और अन्नामलाई की पहाड़ियां।

❖भारत के अधिकांश खनिज सम्पदा – दक्कन के लावा पठार की उपजाऊ मिट्टी।

❖भारत का सबसे बड़ा पठार 

❖सबसे प्राचीन व सबसे कठोर भौतिक प्रदेश अरावली पर्वत इसी पठार का हिस्सा ।

❖अरावली पर्वत माला विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला।

द्वीप समूह 

❖अरब सागर में 36 द्वीपों का समूह लक्षद्वीप कहलाता 

❖बंगाल की खाड़ी में 247 द्वीपों का समूह अंडमान निकोबार कहलाता है।

❖इसके बैरन द्वीप पर भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी।

❖निकोबार में स्थित इंदिरा पॉइंट भारत का सबसे दक्षिणी द्वीप

❖दक्षिणी द्वीपों के समूह को निकोबार कहते हैं।

अध्याय 2 राजस्थान एक सामान्य परिचय

❖राजस्थान भारत के उत्तरी पश्चिमी भाग में स्थित है।

❖क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य।

❖राजस्थान के उत्तर में पंजाब 

❖पूर्व में – उत्तरप्रदेश

❖दक्षिण – पूर्व में – मध्यप्रदेश

❖दक्षिण में – गुजरात 

❖उत्तर – पूर्व में – हरियाणा 

❖स्वतंत्रता से पूर्व – 19 रियासतें , 3 ठिकाने व एक केंद्र शासित प्रदेश।

❖राजस्थान को चार भौतिक भागों में बांटा गया है- 

1.थार का मरुस्थल

2.अरावली पर्वत

3.पूर्वी मैदान

4.हाड़ौती का पठार

1.थार का मरुस्थल 

❖विस्तार – 12 जिलों में।

❖क्षेत्रफल – 61%

❖जनसंख्या – 40%

❖ढाल – पश्चिम की ओर

❖विश्व का सबसे घना मरुस्थल।

❖बाड़मेर , जैसलमेर व बीकानेर में स्थित मरुस्थलीय भाग को भारतीय महा मरुस्थल कहा जाता है।

अरावली पर्वतमाला

❖क्षेत्रफल – 09%

❖जनसंख्या – 10%

❖विश्व का सबसे प्राचीन पर्वत माला।

❖दक्षिण में खेड़ ब्रह्मा (गुजरात) से उत्तर में दिल्ली तक 693 किलोमीटर लंबी।

❖गुरू शिखर सर्वोच्च चोटी (1722)

पूर्वी मैदान – 

❖क्षेत्रफल – 23%

❖जनसंख्या – 39%

❖बीहड़ चम्बल नदी के सहारे कोटा से धौलपुर तक विस्तृत।

❖राजस्थान के दक्षिणी भाग में बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिलों में माही और सहायक नदियों द्वारा निर्मित जिसे माही का मैदान कहते हैं।

❖छप्पन गाँवों एवं छप्पन नदी नालों के समूह को छप्पन का मैदान कहलाता है।

हाड़ौती का पठार – (दक्षिणी – पूर्वी पठारी प्रदेश)

❖दक्षिणी  – पूर्वी भाग को प्राचीन काल मे हाड़ा वंशी शासकों द्वारा निर्मित।

❖क्षेत्रफल – 07% 

❖जनसंख्या – 11%

❖राजस्थान की औसत वार्षिक वर्षा लगभग 57.5 सेमी. 

❖ऋतुएँ  – ग्रीष्म ऋतु (मार्च से जून) , वर्षा ऋतु (जुलाई से सितंबर ) शीत ऋतु (अक्टूबर से फरवरी)

❖राजस्थान में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली अत्यंत गर्म धूलभरी पवनों को लू कहा जाता है।

❖राजस्थान का सबसे ठंडा स्थान माउंट आबू (सिरोही)में ।

❖राजस्थान में वर्षा मानसूनी पवनों के कारण होती है।

❖राजस्थान में वर्षा बंगाल की खाड़ी के मॉनसून से सर्वाधिक वर्षा होती है।

❖बंगाल की खाड़ी से – पूर्वी राजस्थान में ।

❖अरब सागर की खाड़ी से – दक्षिणी राजस्थान में ।

❖सर्वाधिक वर्षा वाला जिला झालावाड़ (सबसे आर्द्र जिला)

❖सबसे कम वर्षा जैसलमेर तथा सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउंट आबू।

❖हिमालय की ओर से आने वाली ठंडी पवनों को शीत लहर कहा जाता है।

❖भारत मे शीत ऋतु में होने वाली वर्षा को मावठ या पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है।

❖भौतिक एवं मानवीय कार्यों द्वारा जब उपजाऊ भूमि बंजर एवं रेतीली मिट्टी में परिवर्तित हो जाती है तो उस क्रिया को मरुस्थलीकरण कहते हैं।

❖बालुका स्तूप को स्थानीय भाषा मे धोरा कहते हैं।

❖थार के मरुस्थल का अधिकांश भूमिगत जल खारा है।

अध्याय 4 जल संसाधन

❖जल के वे स्रोत जो मानव के लिए उपयोगी हो या जिनके उपयोग की संभावना हो , उसे जल संसाधन कहते हैं। जैसे – नदियाँ ,झील, तालाब , नलकूप इत्यादि।

अपवाह तंत्र – 

❖किसी मुख्य नदी तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था को अपवाह तंत्र कहते हैं।

❖प्रागैतिहासिक कालीन सरस्वती नदी राजस्थान से होकर गुजरात मे भरूच के पास अरब सागर में मिलती थी।

जल विभाजक रेखा

❖दो अपवाह क्षेत्रो के मध्य की उच्च भूमि जो वर्षा जल को विभिन्न दिशाओं में प्रवाहित करती है । 

❖राजस्थान में अरावली पर्वतमाला जल विभाजक का कार्य करती है।

राजस्थान का अपवाह तंत्र

❖राजस्थान के अपवाह तंत्र को तीन भागों में विभक्त है 

1.बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र –

❖अरावली के पूर्वी भाग में बहने वाली नदियो चम्बल, कालीसिंध , पार्वती , बनास , बेड़च , अपना जल बंगाल की खाड़ी में ले जाती है।

2.अरब सागर का अपवाह तंत्र – 

❖अरावली के दक्षिण पश्चिम में बहने वाली नदियाँ माही , लूनी , साबरमती , पश्चिमी बनास अपना जल अरब सागर में ले जाती है।

3.आंतरिक अपवाह तंत्र –

❖ऐसी नदी जो किसी समुद्र तक ना पहुंच कर स्थल भाग में ही विलुप्त हो जाती है , उसे आंतरिक अपवाह तन्त्र वाली नदी कहते हैं। जैसे – घग्घर , बाणगंगा , कांतली , साबी , रूपारेल इत्यादि।

सहायक नदी – ऐसी छोटी नदियाँ जो अपने क्षेत्र का जल किसी नदी में उड़ेलती है उन्हें सहायक नदियां होती है।

चम्बल नदी – 

❖उद्गम – मध्यप्रदेश में विंध्याचल पर्वत के जनापाव पहाड़ी से ।

❖प्रवाह क्षेत्र – चित्तौड़, कोटा , सवाईमाधोपुर ,बूंदी ,धौलपुर , करौली ( शार्ट ट्रिक – चिको सबू धोक )

❖राजस्थान की सबसे लंबी नदी ।

❖राजस्थान में प्रवेश चित्तौड़गढ़ में भैंसरोडगढ़ से ।

बनास नदी

❖चम्बल की प्रमुख सहायक नदी ।

❖उद्गम – राजसमंद के खमनोर की पहाड़ियां से ।

❖प्रवाह क्षेत्र – राजसमन्द , चित्तौड़गढ़ , भीलवाड़ा , टोंक जिलो में बहती हुई सवाईमाधोपुर में रामेश्वर के पास चम्बल में मिल जाती है।

❖पूर्णतः राजस्थान में बहने वाली नदी ।(480किलोमीटर)

❖सहायक नदियाँ – कोठारी , गम्भीरी , खारी , मोरेल ।

❖बनास , बेड़च , मेनाल का त्रिवेणी संगम।

लूनी नदी – 

अजमेर जिले में गोविंदगढ़ के निकट सरस्वती व सागरमती नामक दो धाराओं के मिलने से उद्गम।

प्रवाह क्षेत्र – अजमेर , नागौर , पाली , जोधपुर , बाड़मेर , जालौर के बाद कच्छ की खाड़ी में गिरती है।

सहायक नदियाँ – जोजरी , बाण्डी ,जवाई , मीठड़ी , खारी ,सुकड़ी ,सागी , गुहिया इत्यादि।

माही नदी – 

मध्यप्रदेश के विंध्याचल पर्वत में अमरोरु नामक स्थान से निकलती है ।

बाँसवाड़ा , डुंगरपुर  होते हुए खम्भात की खाड़ी में गिरती है ।

इस नदी माही बजाज सागर बांध बना हुआ है।

सहायक नदियाँ – सोम , जाखम 

बाणगंगा नदी – 

उद्गम स्थल – अरावली की बैराठ की पहाड़ियां (जयपुर)

घना पक्षी राष्ट्रीय उद्यान को पानी देती है ।

इसे अर्जुन की गंगा भी कहते हैं।

घग्घर नदी – 

उद्गम स्थल – हिमाचल प्रदेश के शिवालिक श्रेणी  से 

राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले से प्रवेश।

राजस्थान की आंतरिक प्रवाह वाली सबसे लंबी नदी।

राजस्थान की प्रमुख नदी घाटी परियोजना – 

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इन नदी घाटी परियोजनाओं के महत्व को  देखते हुए इन्हें आधुनिक भारत के मंदिर की श्रेणी दी गई है।

बैराज – 

सिंचाई के उद्देश्य से प्राकृतिक जल बहाव की दिशा को परिवर्तित करने के लिए जल स्रोत में बनाएं गए बांध को बैराज कहते हैं।

फीडर – 

किसी मुख्य नहर का ऐसा हिस्सा जहां से पानी का कोई उपयोग नही किया जाता है उसे फीडर कहते हैं।

चम्बल परियोजना – 

राजस्थान व मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना ।

कुल चार बाँध – गाँधी सागर बाँध (mp) , तीन राजस्थान में – राणा प्रताप बाँध (चित्तौड़), जवाहर सागर बांध व कोटा बैराज बाँध (कोटा )

माही बजाज सागर परियोजना – 

बांसवाड़ा के माही नदी में निर्मित ।

राजस्थान  गुजरात की संयुक्त परियोजना।

बीसलपुर परियोजना – 

टोंक जिले के टोडारायसिंह नगर के पास बीसलपुर गाँव मे बनास नदी पर ।

जयपुर , अजमेर , टोंक में जलापूर्ति ।

सरदार सरोवर परियोजना – 

गुजरात , मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र व राजस्थान की संयुक्त परियोजना।

गुजरात के नर्मदा नदी पर बाँध बना हुआ है।

राजस्थान के लाभान्वित जिले – बाड़मेर व जालौर ।

जवांई परियोजना – जवाई नदी पर (पाली)

सोम , कमला , अम्बा परियोजना – सोम नदी (डूंगरपुर)

मानसी वाकल परियोजना – डूंगरपुर

जाखम परियोजना – प्रतापगढ़।

प्रमुख नहरे – 

गंगनहर  – 

बीकानेर के तत्कालीन महाराजा गंगासिंह ने पंजाब में सतलज नदी पर फिरोजपुर के निकट एक बाँध बनवाया।

1927 ई. में इस बाँध से नहर बनाकर राजस्थान लाये।

राजस्थान की पहली नहर।

वर्तमान में इस नहर से गंगानगर में सिंचाई होती है।

इंदिरा गाँधी नहर – 

सर्वप्रथम 1948 ई. में बीकानेर के तत्कालीन सिंचाई इंजीनियर कँवर सेन ने सुझाव दिया।

सन 1952 में स्वीकृति।

पंजाब में सतलज व व्यास नदी के संगम पर हरिके बैराज बाँध बनाकर नहर निकाली गई।

इंदिरा गाँधी नहर की कुल लम्बाई 649 किलोमीटर है।

हरिके बैराज से हनुमानगढ़ के मसीतावली तक 204 किलोमीटर फीडर नहर है।

वितरिकाओं की लंबाई – 800 किलोमीटर है।

इंदिरा गांधी नहर का अंतिम बिंदु बाड़मेर के गडरारोड़ तक है।

एशिया की सबसे बड़ी नहर प्रणाली जिसे मरूगंगा भी कहा जाता है।

भरतपुर नहर – 

पश्चिमी यमुना नहर से उद्गम।

केवल भरतपुर में सिंचाई के लिए।

अध्याय 5 भूमि संसाधन और कृषि

❖विश्व के कुल क्षेत्रफल का लगभग 11 % भाग पर कृषि होती है।

❖स्वामित्व के आधार पर भूमि को दो भागों में विभाजित किया जाता है – निजी भूमि और सामुदायिक भूमि।

❖ह्यूमस – वनस्पति एवं जीवो के सड़े गले अंश को ह्यूमस कहते हैं।

❖धरातल पर पाई जाने वाली असंगठित पदार्थो की ऊपरी परत , जिसमे ह्यूमस भी मिला हो उसे मिट्टी कहते है।

❖सामान्यतः मिट्टी को दो भागों में बांटा गया है – 

1.रंग के आधार पर  – काली , भूरी, पीली, लाल 

2.मिट्टी की प्रकृति के आधार पर – रेतीली ,जलोढ़ ,लवणीय , क्षारीय ।

❖मिट्टी में फसल उगाने की कला को कृषि कहा जाता है और जिस भूमि पर फसले उगाई जाती है ,उसे कृषि भूमि कहते हैं।

❖कृषि दो प्रकार की होती है- 1.जीवन निर्वाह कृषि 2.वाणिज्यिक कृषि

❖जीवन निर्वाह कृषि – वह कृषि जो किसान अपने परिवार के भरण पोषण के उद्देश्य से करता है उसे जीवन निर्वाह कृषि कहते हैं।

❖इसे पुनः दो भागों में विभाजित किया है -1.आदिम निर्वाह कृषि 2.गहन निर्वाह कृषि।

❖स्थानांतरित कृषि – आदिम जनजातियों द्वारा जंगलो को काटकर खेत बनाया जाता हैं और कटे हुए जंगलों को जला दिया जाता है फिर इनको 2 – 3 वर्ष कृषि करने के बाद छोड़ दिया जाता है।

❖इस कृषि को दक्षिण राजस्थान में वालरा कहते है।

❖उत्तरी पूर्वी राजस्थान में इस कृषि को झूम कहते है।

❖चलवासी पशुचारण कृषि – पशुओ के साथ साथ चारे तथा जल के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमना ।

वाणिज्यिक कृषि

❖ इसका उद्देश्य फसल और पशु उत्पादों को बाजार में बेचना होता है ।

❖ये तीन प्रकार की होती है – 1.वाणिज्यिक फसल 2.मिश्रित कृषि 3.बागाती कृषि

❖वाणिज्यिक फसल – इन पर उद्योग धंधे वाली फसल बोई जाती हैं जैसे – कपास , गन्ना , तिलहन ,तम्बाकू।

❖मिश्रित कृषि – कृषि व पशुपालन दोनो साथ साथ ।
बागाती कृषि – अधिक पूँजी व श्रम की आवश्यकता । जैसे – चाय ,कॉफी ,रबड़।

❖राजस्थान में मुख्यतः तीन कृषि ऋतुएँ – 1.खरीब 2.रबी 3.जायद

गेहूँ

❖राज्य की प्रमुख रबी की खाद्यान्न फसल

❖जलोढ़ मिट्टी उपयुक्त

❖राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन श्रीगंगानगर में

❖भारत मे सर्वाधिक उत्पादन उत्तरप्रदेश में

❖विश्व मे सर्वाधिक उत्पादन चीन ।

❖विश्व मे भारत का दूसरा स्थान।

बाजरा

❖राज्य में सर्वाधिक क्षेत्रफल पर बोई जाने वाली खरीब की फसल।

❖पश्चिम राजस्थान में सर्वाधिक बोई जाती है।

चावल

❖विश्व मे सर्वाधिक खाया जाने वाला अनाज ।

❖इसके लिए उच्च तापमान , अधिक आर्द्रता और वर्षा की आवश्यकता होती है।

❖चीका युक्त जलोढ़ एवं काली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।

❖विश्व मे प्रथम स्थान चीन का।

❖भारत का स्थान दूसरा।

❖राजस्थान में यह खरीफ की फसल है।

❖चावल का उत्पादन हनुमानगढ़ , श्री गंगानगर , बांसवाड़ा ,डूंगरपुर ,कोटा , बूंदी ,झालावाड़ , बाराँ , उदयपुर और चित्तौड़।

मक्का 

❖मेवाड़ का प्रमुख भोजन ।

❖अधिक तापमान व वर्षा की आवश्यकता।

❖चित्तोड़ , उदयपुर , भीलवाड़ा , राजसमंद , बांसवाड़ा , डूंगरपुर।

चना 

❖प्रमुख दलहन फसल ।

❖हल्की रेतीली मिट्टी उपयुक्त ।

❖राजस्थान में इसका अधिक उत्पादन हनुमानगढ और श्रीगंगानगर में ।

सरसों 

❖राजस्थान देश का सबसे बड़ा सरसो उत्पादन राज्य।

❖राजस्थान को सरसों का प्रदेश भी कहा जाता है।

❖भरतपुर जिले के सेवर में राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र है।

मुंगफली 

❖तिलहनी व वाणिज्यिक फसल।

❖ ये खरीफ की फसल है।

❖ ये फसल वर्षा पर निर्भर , राज्य के लगभग तीन लाख हैक्टेयर भूमि पर बुहाई।

कपास

❖ यह एक औद्योगिक फसल है ।

❖कपास का उत्पादन श्रीगंगानगर , हनुमानगढ़ के साथ मे मेवाड़ एवं हाड़ौती क्षेत्र में होता है।

आधुनिक कृषि फार्म – सूरतगढ़

❖श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ नामक स्थान पर एक मशीनीकरण कृषि फार्म स्थापित।

❖कृषि फसलों पर नए नए प्रयोग व उन्नत पशु नस्ल विकसित ।

❖सिंचाई इंदिरा नहर द्वारा उपलब्ध।

 

 

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