Class 12 History of India (कक्षा 12 भारत का इतिहास)
अध्याय 01 भारत का वैभव पूर्ण अतीत
❖भारतीय इतिहास की जानकारी के स्रोतों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित –
1.साहित्यिक स्त्रोत – इनके तीन भाग
A.धार्मिक साहित्य -ब्राह्मण साहित्य, बौद्ध साहित्य, जैन साहित्य
B.धर्मेतर साहित्य -ऐतिहासिक ग्रंथ , विशुद्ध साहित्यिक ग्रंथ ,क्षेत्रीय साहित्य , विदेशी विवरण
C.वंशावलियाँ
1.धार्मिक साहित्य
ब्राह्मण साहित्य
❖ब्राह्मण साहित्य में सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद है।
❖वेद ज्ञान का समृद्ध भंडार है।
❖वेदों की संख्या चार है – ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद
❖सबसे प्राचीन ऋग्वेद , जिसमे 10 मंडल व 1028 सूक्त।
❖प्रत्येक वेद के चार भाग – संहिता , ब्राह्मण , आरण्यक व उपनिषद।
❖वेदों की व्याख्या संहिता में की गई है।
❖ऋग्वेद छन्दों में रचा गया वेद है।
❖यजुर्वेद में यज्ञों से संबंधित विवरण मिलता है।
❖सामवेद में आर्यों द्वारा गायी जाने वाली सामग्री।
❖अथर्ववेद की रचना अथर्वा ऋषि ने की।
❖अथर्ववेद में ब्रह्मज्ञान , धर्म ,समाज , निष्ठा , औषधि प्रयोग , शत्रुओं का दमन , रोग निवारण , तंत्र मंत्र आदि विषय सम्मिलित हैं।
❖यज्ञ और कर्मकांडो पर आधारित जो साहित्य रचा गया वे ब्राह्मण ग्रंथ कहलाते हैं।
❖वैदिक साहित्य को ठीक तरह से समझने हेतु वेदांग साहित्य की रचना की गई है।
❖वेदांग छः – शिक्षा , कल्प , व्याकरण , निरुक्त ,छंद व ज्योतिष।
❖चार उपवेद – आयुर्वेद , धनुर्वेद , गन्धर्व वेद व शिल्प वेद।
❖वेदों के उपरांत विभिन्न ऋषियों स्मृति ग्रंथो की रचना की गई । मनुस्मृति व याज्ञवल्क्य स्मृति प्रमुख।
❖रामायण व महाभारत महाकाव्य भारतीय इतिहास की जानकारी के अथाह कोष है।
❖हमारे पुराण प्राचीन काल के इतिहास ग्रंथ है , इनकी संख्या 18 है।
❖प्रमुख पुराण – मार्कण्डेय , ब्राह्माण्ड, वायु , विष्णु , भागवत व मत्स्य।
❖मत्स्य पुराण – सर्वाधिक प्राचीन पुराण । इनके पांच प्रमुख विषय है – सर्ग ,प्रतिसर्ग, मन्वन्तर , वंश , वंशानुचरित।
बौद्ध साहित्य –
❖बौद्ध साहित्य में सबसे प्राचीन ग्रंथ त्रिपिटक। सूत पिटक , विनय पिटक व अभिधम्म पिटक।
❖बौद्ध ग्रंथों में दूसरा महत्वपूर्ण योगदान जातक ग्रंथो का है ।
❖इनमें गौतम बुद्ध के पूर्व जन्म की कथाओं की तत्कालीन सामाजिक , धार्मिक व आर्थिक पक्षों की जानकारी मिलती है।
❖जातक ग्रंथों की संख्या 549 है।
❖पाली भाषा मे अन्य बौद्ध ग्रंथ – मिलिंदपंहो, दीपवंश व महावंश।
❖मिलिंदपंहो में यूनानी आक्रमणकारी मीनेण्डर व बौद्ध भिक्षु नागर सेन के मध्य वार्ता का विवरण मिलता है ।
❖दीपवंश व महावंश में सिंहलद्वीप के इतिहास का वर्णन है ।
पाली भाषा के अलावा संस्कृत भाषा मे लिखे गए बौद्ध ग्रंथ।
❖महावस्तु ग्रंथ – गौतम बुद्ध के जीवन चरित्र पर आधारित।
❖ललित विस्तार – गौतम बुद्ध को दैवीय शक्ति के रूप में निरूपित।
❖मंजूश्री का मूलकल्प व अश्वघोष का बुद्ध चरित एवं सौदरानंद काव्य से भी ऐतिहासिक जानकारी मिलती है।
❖बौद्ध ग्रन्थ दिव्यादान में सत्कर्म एवं वीरोचित कार्यों का वर्णन है।
जैन साहित्य
❖जैन साहित्य में आगम सबसे प्रमुख हैं।
❖आगम में 12 अंग , 12 उपांग ,10 प्रकीर्ण , 6 छेद सूत्र , 1 नंदी सूत्र , 1 अनुयोग द्वार व 4 मूल सूत्र शामिल हैं।
❖जैन साहित्य प्राकृत भाषा मे लिखा गया ।
❖अन्य जैन ग्रंथ – कथा कोष , परिशिष्ट पर्वन , भद्रबाहु चरित , कल्प सूत्र , भगवती सूत्र आदि।
❖आचरांग सूत्र में जैन साधुओं के आचार व्यवहार से संबंधित नियमों का संकलन है।
❖परिशिष्ट पर्वन में तत्कालीन राजाओं और जैन मुनियों के संबंधों के बारे में जानकारी मिलती है।
❖भद्रबाहु चरित में जैन मुनि भद्रबाहु के साथ ही चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन के अंतिम समय की घटनाओं का वर्णन मिलता है।
धर्मेतर साहित्य –
❖इस श्रेणी में प्राचीन भारत मे धर्म के अतिरिक्त अन्य विषयों पर लिखा गया साहित्य आता है । इसमें ऐतिहासिक अर्द्ध ऐतिहासिक , विशुद्ध साहित्यिक ग्रंथ , नाटक , कथा कोष , काव्य आदि।
ऐतिहासिक ग्रंथ –
❖कल्हण की राजतंरगिनी विशुद्ध रूप से ऐतिहासिक ग्रंथ है।
❖राजतंरगिनी की रचना 1150 ई. में की।
❖इसमे प्राचीन समय से बारहवीं शताब्दी तक का कश्मीर का इतिहास है ।
❖कौटिल्य के अर्थशास्त्र में तत्कालीन राजप्रबन्ध , अर्थव्यवस्था , सामाजिक व धार्मिक जीवन की विस्तृत जानकारी मिलती है।
❖कौटिल्य ने इतिहास के अंतर्गत पुराण इतिवृत , आख्यान , उदाहरण , धर्मशास्त्र एवं अर्थशास्त्र को सम्मिलित किया है।
अन्य ग्रंथ
❖हर्ष चरित – बाणभट्ट
❖गौढ़वहो – वाक्पति
❖विक्रमांकदेव चरित – विल्हण
❖कुमार पाल चरित – जयसिंह
❖हम्मीर महाकाव्य – नयनचंद
❖नवसहसांक चरित – पद्मगुप्त
❖भोज चरित – बल्लाक
❖पृथ्वीराज विजय – जयानक
विशुद्ध साहित्यिक ग्रंथ –
❖विशुद्ध साहित्यिक ग्रंथ में नाटक, व्याकरण ग्रंथ ,टीका , काव्य कथा साहित्य एवं कोष की रचना की गई ।
ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ग्रंथ
❖पाणिनि का अष्टाध्यायी
❖पंतजलि का महाभाष्य , गार्गी संहिता
❖कालिदास का मालविकाग्निमित्र
❖विशाखदत्त का मुद्रा राक्षस
❖शूद्रक का मृच्छकटिकम
❖विज्ञानेश्वर की मिताक्षरा
❖कामन्दक का नीतिसार
कथा साहित्य एवं कोष साहित्य की दृष्टि
❖विष्णु शर्मा का पंचतंत्र
❖गुणाढ्य की वृहत कथा
❖क्षेमेन्द्र की वृहतकथामंजरी
❖सोमदेव की कथासरित्सागर
❖अमरसिंह का अमरकोष
क्षेत्रीय साहित्य
❖प्राचीन तमिल साहित्य संगम साहित्य कहलाता है।
❖इस साहित्य के प्रणेता अगस्त्य ऋषि थे।
❖तेलगु ग्रंथ धूर्जटी द्वारा लिखित कृष्णदेवराय विजयुम विजय नगर राज्य के शासक कृष्णदेवराय की उपलब्धियां की जानकारी देता है।
राजस्थानी भाषा के ग्रंथों में –
❖चंद्रवरदाई का पृथ्वीराज रासों
❖पद्मनाथ का कान्हडदेव प्रबन्ध
❖बीठू सूजा का राव जैतसी रो छंद
❖सूर्यमल्ल मिश्रण का वंश भास्कर
❖नैणसी का नैणसी की ख्यात
❖बांकीदास की ख्यात
विदेशी विवरण (साहित्य)
यूनानी साहित्य –
❖यूनानी लेखको में टेसियस ,हेरोडोटस , निर्याकस , एरिस्टोब्युल्स , आनेक्रिट्स , स्ट्रेबो ,एरियन एवं स्काई लेक्स प्रमुख हैं ।
❖सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुस्तक चंद्रगुप्त के दरबार मे यूनानी राजदूत मेगस्थनीज द्वारा लिखित ‘इंडिका’ है।
❖यूनानी विवरणों से चंद्रगुप्त मौर्य के प्रशासन , समाज एवं आर्थिक स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती हैं।
❖टॉलमी का भूगोल
❖प्लिनी दी एल्डर की नेचुरल हिस्ट्री
❖एरिस्टोब्युल्स की हिस्ट्री ऑफ दी वार
❖स्ट्रेबो का भूगोल
❖पेरीप्ल्स ऑफ दी एरीथ्रीयन सी ‘ पुस्तक में बन्दरगाहों व व्यापार का विस्तृत विवरण है।
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