Bharat ke Rashtrapati (भारत के राष्ट्रपति)
संघ (अनुच्छेद 51-151)
भारत का राष्ट्रपति
❖अनुच्छेद 52 कहता है कि ‘भारत का एक राष्ट्रपति होगा।’
❖अनुच्छेद 53 कहता है कि केन्द्र की समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित होंगी।
❖भारत सरकार के समस्त कार्यपालिका संबंधी कार्य राष्ट्रपति के नाम से ही संचालित होते हैं।
योग्यताएँ :
❖भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार भारत के राष्ट्रपति को भारत का नागरिक होना चाहिए।
❖उसकी आयु 35 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
❖उसमें लाेकसभा सदस्य बनने की योग्यता होनी चाहिए।
❖उसे लाभ के किसी पद पर नहीं होना चाहिए।
(राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्य का राज्यपाल, केंद्रीय या राज्य मंत्री के अलावा)
❖चुनाव :
❖भारत में राष्ट्रपति एक निर्वाचक मंडल के द्वारा चुना जाता है। इसमें आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को अपनाया जाता है।
❖इसमें गुप्त मतदान द्वारा एकल हस्तांतरणीय
मतदान प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
❖निर्वाचक मंडल में होते हैं :
1.संसद के दोनों सदनों के चुने गए सदस्य,
2. राज्यों की विधान सभाओं के चुने गए सदस्य। चुनाव में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व की सादृश्यता होनी चाहिए। राज्य एवं केंद्र के मध्य समता को बरकरार रखा जाना चाहिए।
❖अनुच्छेद 57ः राष्ट्रपति पुनर्निर्वाचन के योग्य होता है।
❖70वें संविधान संशोधन एक्ट, 1992 के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एवं संघशासित क्षेत्र पांडिचेरी विधान सभा के सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने का अधिकार प्रदान किया गया।
राष्ट्रपति का त्यागपत्र/महाभियोग
❖राष्ट्रपति अपने कार्यकाल से पूर्व उपराष्ट्रपति को अपने हस्तलिखित पत्र के द्वारा त्यागपत्र दे सकता है।
❖यह त्यागपत्र उपराष्ट्रपति द्वारा लोक सभा अध्यक्ष के पास भेजा जाना चाहिए।
❖राष्ट्रपति को उसके कार्यकाल से पूर्व संवैधानिक अतिक्रमण की पृष्ठभूमि के अंतर्गत महाभियोग (अनुच्छेद 56 एवं 61) के द्वारा हटाया जा सकता है।
❖महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन में 14 दिन की पूर्व सूचना के साथ शुरू की जा सकती है। बशर्ते उस सदन के एक चौथाई सदस्य अपनी सहमति लिखित प्रस्ताव द्वारा व्यक्त करे।
कार्यकाल :
❖राष्ट्रपति जिस दिन कार्य काल ग्रहण करता है, उससे पाँच साल तक अपने पद पर बना रहता है।
❖राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति को किसी भी समय लिखित त्यागपत्र दे सकता है।
❖जब राष्ट्रपति का पद रिक्त होता है तो उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।
❖ राष्ट्रपति की रिक्ति काे 6 महीने के भीतर पूर्ण करना होता है।
❖राष्ट्रपति पद की रिक्ति जब 5 वर्ष की समाप्ति पर हुई है, ताे निर्वाचन पदावधि् समाप्ति से पहले ही कर लिया जाता है। (अनुच्छेद 62 )
❖यदि पद पर नियुक्ति में विलंब होता है तो राष्ट्रपति अपने उत्तराधिकारी के आने तक अपने पद पर बना रहेगा।
शक्तियाँ एवं कार्य प्रणाली कार्यपालिका शक्तियाँ
❖संघ की संपूर्ण कार्यकारी शक्तियाँ उसमें सन्निहित रहती हैं।
❖इन शक्तियों का उसके द्वारा या अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा संविधान के अनुसार अनुपालन कराया जाता है।
❖संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार संविधान की कार्यकारी शक्तियों का उपयोग किया जाता है।
❖राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं दूसरे मंत्रियों काे नियुक्त करता है और वे राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बने रहते हैं।
❖वह भारत के महान्यायवादी, नियंत्राक एवं महालेखा निरीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त, संघ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, वित्त आयाेग के अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति करता है।
❖अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के मामलाें की जाँच करने के लिए राष्ट्रपति एक आयोग की नियुक्ति कर सकता है उक्त को माफ कर सकता है या किसी व्यक्ति के मृत्युदंड को एक बार कम कर सकता है। विशेषकर मृत्युदंड के मामलों में वह ऐसा कर सकता है।
विधायी शक्तियाँ
❖राष्ट्रपति संसद के किसी सत्रा को आहूत कर सकता है या संसद के किसी सत्रा का अंत करके लोकसभा को भंग कर सकता है।
❖सामान्य निर्वाचन के बाद प्रथम सत्रा की घाेषणा के बाद वह संसद को संबोधित कर सकता है एवं प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र को भी संबोधित कर सकता है।
❖वह संसद के दोनाें सदनों की संयुक्त बैठकों को आहूत कर सकता है, जिसकी अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष करता है।
❖राष्ट्रपति लोकसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करने के लिए एक सदस्य की नियुक्ति कर सकता है। अध्यक्ष के साथ ही साथ उपाध्यक्ष का पद भी रिक्त रहता है।
❖जब अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पद रिक्त रहते हैं तो वह लोकसभा के किसी सदस्य को इसकी प्रक्रियाओं की अध्यक्षता के लिए नियुक्त
करता है। वह कला, साहित्य, विज्ञान एवं समाज सेवा क्षेत्र के अतिविशिष्ट गुणों वाले किन्हीं बारह सदस्यों को राज्यसभा में नामित करता है। वह एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों काे भी लोकसभा के लिए नामित करता है।
❖किसी भी बिल काे राज्यसभा में प्रस्तुत करने के लिए उसकी पूर्व अनुमति की जरूरत हाेती है। वह बिल के संदर्भ में अपनी राय दे सकता
है, राय को रोक सकता है या बिल को संसद में पुनर्विचार हेतु वापस भेज सकता है। (यदि यह धन विधेयक या सांविधानिक संशाेधन बिल न हो तो)
❖जब एक बिल राज्य विधानमंडल द्वारा पास होता है तो यह राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए रखा जा सकता है, राष्ट्रपति बिल के संदर्भ में अपनी राय दे सकता है, बिल के संदर्भ में अपनी राय रोक सकता है या राज्यपाल से बिल को वापस करने हेतु कह सकता है (यदि यह धन विधेयक न हो तो) ताकि राज्य विधानमंडल इस पर पुनर्विचार कर सके।
❖जब संसद के दोनों सदनों का अधिवेशन न चल रहा हो ताे राष्ट्रपति अध्यादेशाें की घोषणा कर सकता है। इन विधेयकों को इनकी पुनर्प्रस्तुति के छः महीने बाद स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। संविधान के अनुच्छेद 123 के अनुसार विधेयक अधिकतम छः महीने और छः सप्ताह के लिए प्रभावी हो सकता है।
आपातकालीन शक्तियाँ
❖जब राष्ट्रपति यह महसूस करता है कि युद्ध, आंतरिक संघर्ष एवं राजद्राेह के कारण देश में एक गंभीर स्थिति पैदा हाे गई है ताे वह पूरे
देश में या भारत के किसी भाग में आपातकाल लागू कर सकता है।
❖संविधान के अनुच्छेद – 360 के अंतर्गत देश में यदि आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न होती है तो राष्ट्रपति अपनी विशिष्ट शक्तियों का
प्रयोग कर वित्तीय आपात की घोषणा कर सकता है। अभी तक भारत में वित्तीय आपात घोषणा की आवश्यकता नहीं पड़ी है।
राष्ट्रपति तीन प्रकार के आपातकाल की घोषणा कर सकता हैः
राष्ट्रीय आपातकाल
❖संपूर्ण भारत में या इसके क्षेत्र के किसी भाग में युद्ध, आंतरिक संघर्ष या सशस्त्र विद्रोह के कारण राष्ट्रीय आपात की स्थिति पैदा होती है।
❖ राष्ट्रपति देश में राष्ट्रीय आपातकाल तब घोषित कर सकता है जब कैबिनेट मंत्रियों की एक लिखित प्रार्थना आई हो एवं इसका प्रधान प्रधानमंत्री हो। इस अपील को संसद द्वारा एक महीने की अवधि में स्वीकृत किया गया हो।
❖इसे छः महीने के लिए लगाया जा सकता है। इसे संसद की पुनस्वीकृति के बाद छः महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है। यह अधिकतम तीन वर्ष के लिए लागू किया जा सकता है।
❖राष्ट्रीय आपात के दौरान भारत के नागरिकों के मूल अधिकार निलंबित रहते हैं।
❖जीवन के अधिकार एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार काे निलंबित नहीं किया जा सकता है।
आपातकाल तीन घटनाचक्रों में लगा-
❖1962 (भारत-चीन युद्ध)
❖1971 (भारत-पाकिस्तान युद्ध)
❖1975 से 1977 (इंदिरा गांधी के द्वारा आंतरिक अशांति के कारण घाेषित किया
गया)
राज्य आपातकाल या राष्ट्रपति शासन
❖राज्य आपातकाल निम्न स्थितियों में लगाया जाता है :
1. संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार यदि कोई राज्य संविधान काे लागू करने में असफल हो जाए या सांविधानिक तंत्र असफल हो गया हो तो आपातकाल लगाया जाता है।
2. संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार यदि वह राज्य संघ सरकार के दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार काम न कर रहा हो।
3. इस प्रकार के आपातकाल को संसद द्वारा दो माह के लिए स्वीकृत किया गया हो।
❖यह छः माह से तीन वर्ष की अवधि के लिए आरोपित किया जाता है। प्रत्येक छः महीने के बाद इसे पुनः संसदीय स्वीकृति की जरूरत होती है।
❖ यदि आवश्यक हो तो आपातकाल एक संविधान संशोधन के द्वारा तीन वर्ष से अधिक समयावधि के लिए लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए पंजाब एवं जम्मू तथा कश्मीर के मामले में।
❖ इस प्रकार के आपातकाल के दौरान राज्यपाल राष्ट्रपति के नाम से राज्य की सेवा करता है। विधान सभा काे भंग किया जा सकता है या
वे निलंबित अवस्था में रह सकते हैं। संसद राज्य नीति के विषयों पर विधि का निर्माण करती है। सभी धन विधेयकों को स्वीकृति के लिए संसद के पास भेजा जाता है।
वित्तीय आपात-अनुच्छेद 360 :
❖यदि भारत का वित्तीय स्थायित्व या भारत की साख या इसमें किसी भाग को चुनौती दी जाती है तो राष्ट्रपति वित्तीय आपात लागू कर सकता है।
❖ यह अपील संसद के द्वारा दो महीनों में स्वीकृत की जाय।
❖इस प्रकार का आपातकाल कभी घोषित नहीं किया गया है।
वित्तीय शक्तियाँ
❖एक वित्तीय बिल राष्ट्रपति की अनुमति के बाद ही संसद में पेश किया जा सकता है।
❖राष्ट्रपति राष्ट्रीय वित्त पत्र काे पेश करता है। जैसे : केन्द्रीय बजट संसद के सम्मुख।
❖राष्ट्रपति अनदेखे व्ययों की पूर्ति के लिए भारत की आकस्मिकता निधि में बढ़ोतरी कर सकता है।
❖राष्ट्रपति प्रत्येक पाँच वर्ष में एक वित्त आयोग का गठन करता है ताकि केन्द्र एवं राज्य के मध्य करों का बँटवारा सुनिश्चित किया जा सके।
कूटनीतिक शक्तियाँ
❖अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ एवं सहमतियाँ राष्ट्रपति की तरफ से हस्ताक्षरित की जाती हैं। फिर भी उनकी संसद से मंजूरी आवश्यक होती है।
❖राष्ट्रपति अंतर्राष्ट्रीय पफोरमाें एवं मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता है। वह नौकरशाहों को इसमें भेज सकता है, जैसे कि राजदूतों एवं उच्चायुक्तों को।
सैन्य सेवाएँ
❖राष्ट्रपति भारत के प्रतिरक्षा बलों का सर्वोच्च सेनानायक होता है।
❖राष्ट्रपति युद्ध एवं शांति की घोषणा करके उसे संसद की स्वीकृति के लिए भेज सकता है।
❖राष्ट्रपति थलसेना, नौसेना एवं वायुसेना में प्रमुखों की नियुक्ति करता है।
न्यायिक शक्तियाँ
❖राष्ट्रपति संघ न्यायिक क्षेत्रा के मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य न्यायाधीशाें को मुख्य न्यायाधीश की सलाह से नियुक्त करता है।
❖ राष्ट्रपति न्यायाधीशों को तभी पदच्युत करता है जब संसद के दोनों सदन प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पास करें।
❖संविधान के अनुच्छेद 72 के अंतर्गत राष्ट्रपति के पास क्षमादान करने की शक्ति है।
❖ राष्ट्रपति सैन्य प्रशासन द्वारा प्राप्त सजा या कोर्ट-मार्शल की सजा को भी माफ कर सकता है।
❖राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उसके खिलाफ कोई आपराधिक प्रक्रिया चालू नहीं की जा सकती।
❖राष्ट्रपति अपने कर्तव्याें के प्रयोग हेतु उत्तरदायी नहीं है।
वीटो शक्ति
भारत के राष्ट्रपति के पास तीन वीटो शक्तियाँ हैं
1. पूर्ण वीटो
2 निलंबनकारी वीटो
3. जेबी वीटो
1.पूर्ण वीटो
❖यह राष्ट्रपति की उस शक्ति को प्रस्तुत करता है जिसमें वह संसद द्वारा पास किसी बिल के बारे में अपनी सहमति बनाए रखता है। इस प्रकार के बिल का अंत हो जाता है एवं यह एक्ट नहीं बनता है।
1. सन् 1954 में राष्ट्रपति डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद ने पेप्सू (PEPSU) एप्रोप्रिएसन बिल के संदर्भ में अपनी राय राेककर रखी, बिल पास तब हुआ जब (PEPSU) में राष्ट्रपति शासन लागू था।
2. पुनः सन् 1991 में राष्ट्रपति आर॰ वेंकटरमन ने अपनी सहमति सांसदाें के वेतनमान, भत्ते एवं पेंशन में संदर्भ में राेके रखी।
3. बिल संसद के द्वारा पास किया गया। (लाेकसभा के भंग हाेने से एक दिन पूर्व) इसके लिए राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई।
2.निलंबनकारी वीटो
❖इसके अंतर्गत बिल काे पुनः पुनरावलोकन के लिए भेजना होता है। जो एक सामान्य बहुमत के द्वारा विधानसभा में लाया जाता है।
3. जेबी वीटो
❖इस मामले में राष्ट्रपति बिल को न प्रमाणित करता है, न अस्वीकृत करता है और न वापस करता है।वह एक अनिश्चित समयावधि के लिए बिल को विचाराधीन रखता है। सन् 1986 में राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह ने भारतीय डाक (संशोधन एक्ट) 1986 के संबंध जेबी वीटो का प्रयोग किया।
❖24वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1971 के अनुसार राष्ट्रपति हेतु यह अनिवार्य कर दिया गया कि वह संविधान संशोधन अधिनियम के अनुसार अपनी सहमति दें। संविधान के अनुच्छेद 123 के अंतर्गत जब संसद के दाेनों सदनाें का अधिवेशन न हाे ताे राष्ट्रपति अध्यादेशों का प्रकाशन कर सकता है।
अब तक बने राष्ट्रपति
Short ट्रिक – राजेन्द्र राजा विफनि ज्ञावेश के महल से कलाम बाहर , प्रतिभा , प्रणव व कोविद अंदर गए।
1.डॉ . राजेन्द्र प्रसाद (1952 – 1957 व 1957- 1962)
❖भारत के प्रथम राष्ट्रपति।
❖जन्म स्थान – बिहार।
❖राष्ट्रपति बनने से पहले संविधान सभा के सभापति।
❖सबसे लंबा कार्यकाल दो कार्यकालों का निर्वाह।
❖एकमात्र निर्वाचित मनोनीत राष्ट्रपति।
2.डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1962 – 1967)
❖भारत के प्रथम गैर राजनैतिक व दार्शनिक राष्ट्रपति।
❖प्रथम उपराष्ट्रपति जो राष्ट्रपति बने।
❖भारत चीन युध्द (20 अक्टूबर , 1962)
❖राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न प्राप्त प्रथम राष्ट्रपति।
3.डॉ. जाकिर हुसैन (1967 – 1969)
❖प्रथम मुस्लिम राष्ट्रपति।
❖ऐसे राष्ट्रपति जिन्होंने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं राज्यपाल तीनों पदों पर कार्य किया।
❖प्रथम राष्ट्रपति जिसकी कार्यकाल (1969) के दौरान मृत्यु।
4.वी. वी. गिरी (वराह गिरी वेंकट गिरी)
❖कार्यकाल 3 मई1969 से 20 जुलाई1969 तक।
❖भारत के प्रथम कार्यवाहक राष्ट्रपति , जिन्होंने पद पर कार्य करते हुए त्यागपत्र दिया।
5.एम.हिदायतुल्ला (20 जुलाई से 24जुलाई 1969)
❖प्रथम मुख्य न्यायाधीश जो कार्यवाहक राष्ट्रपति बने।
❖सबसे कम कार्यकाल (1 माह 4 दिन)
6.वी. वी. गिरी (1969 – 1974)
❖एकमात्र राष्ट्रपति जो उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र देकर राष्ट्रपति बने।
❖इनके निर्वाचन के लिए द्वितीय चक्र की मतगणना करनी पड़ी तथा जिन्हें 50% मत नही मिलने पर भी राष्ट्रपति घोषित कर दिया।
7.फखरुद्दीन अली अहमद (1974 – 1977)
❖दूसरे राष्ट्रपति जिनकी कार्यकाल के दौरान मृत्यु।
❖जून 1975 में आंतरिक अशांति के नाम पर आपातकाल।
8.बी. डी. जत्ती (1977)
❖सबसे लंबी अवधि तक कार्यवाहक राष्ट्रपति (लगभग 5 महीने)
9.नीलम संजीव रेड्डी (1977 – 1982)
❖निर्विरोध राष्ट्रपति बने।
❖राष्ट्रपति बनने से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष।
❖सबसे कम आयु के राष्ट्रपति।
❖डॉ. नीलम संजीव रेड्डी एकमात्र राष्ट्रपति है जो एक बार चुनाव हारे तथा दूसरी बार निर्विरोध चुने गए।
10.ज्ञानी जैलसिंह (1982 – 1987)
❖प्रथम सिक्ख राष्ट्रपति।
❖1986 में पहली बार डाकघर विधेयक पर जेबी वीटो का प्रयोग किया।
❖राष्ट्रपति बनने से पूर्व पंजाब के मुख्यमंत्री रहे।
❖सबसे कम पढ़े लिखे राष्ट्रपति।
11.रामास्वामी वेंकटरमण (1987 – 1992)
❖सबसे अधिक आयु के राष्ट्रपति बने।
12.डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1992 – 1997)
❖राष्ट्रपति बनने से पूर्व तीन राज्यों के राज्यपाल रह चुके।
❖अपने कार्यकाल के दौरान सर्वाधिक चार प्रधानमंत्रियों के साथ मिलकर कार्य किया।
1.पी.वी.नरसिम्हा राव 2.देवगौड़ा 3.अटल बिहारी वाजपेयी 4.इंद्र कुमार गुजराल
13.के. आर. नारायणन (1997 – 2002)
❖प्रथम दलित राष्ट्रपति।
❖कई देशों में उच्चायुक्त एवं राजदूत के रूप में कार्य किए।
14.ए. पी.जे. अब्दुल कलाम (2002 – 2007)
❖मिसाइल मैन / वैज्ञानिक /मिसाइल का जनक।
❖दो दलो का एक साथ समर्थन।
❖स्वप्न दृष्टा व मानवतावादी विचारक ।
❖दूसरे गैर राजनैतिक राष्ट्रपति।
14.श्रीमती प्रतिभा पाटिल (2007 – 2012)
❖प्रथम महिला राष्ट्रपति।
❖राज्यपाल के रूप में कार्य करते हुए राष्ट्रपति।
15.प्रणव मुखर्जी (25 जुलाई 2012 से )
❖जन्म स्थान – प. बंगाल के वीरभूमि जिले के किरनाहर शहर के मिराती गांव
❖पी. ए. संगमा को पराजित करके राष्ट्रपति बने।
16. रामनाथ कोविंद (25 जुलाई 2017से अब तक…..)
❖रामनाथ कोविन्द का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिला (वर्तमान में कानपुर देहात जिला) की तहसील डेरापुर, कानपुर देहात के एक छोटे से गाँव परौंख में हुआ था।
❖वकालत की उपाधि लेने के पश्चात उन्होने दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की।
❖आपकी 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के पद पर उनकी नियुक्ति हुई।
❖29 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति के निर्वाचन का परिणाम घोषित हुआ जिसमें कोविंद ने यूपीए की प्रत्याशी मीरा कुमार को लगभग 3 लाख 34 हजार वोटों के अंतर से हराया।
❖25 जुलाई 2017 को भारत के 14 वे राष्ट्रपति के रूप में कोविंद ने शपथ ग्रहण की।
राष्ट्रपति विशेष तथ्य
❖भारत के तीन राष्ट्रपति ऐसे थे जो राष्ट्रपति बनने से पूर्व भारत रत्न प्राप्त कर चुके थे –
1.डॉ. राधाकृष्णन 2.जाकिर हुसैन 3.ए. पी.जे. अब्दुल कलाम
❖पहली बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली महिला – लक्ष्मी सहगल
❖प्रथम मुस्लिम राष्ट्रपति – जाकिर हुसैन
❖प्रथम दलित राष्ट्रपति – के. आर. नारायण
❖प्रथम सिक्ख राष्ट्रपति -ज्ञानी जैलसिंह
❖प्रथम महिला राष्ट्रपति – प्रतिभा पाटिल
❖सर्वोच्च न्यायालय का एकमात्र मुख्य न्यायाधीश एस. एस. हिदायतुल्ला ,जिन्होंने कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद का निर्वहन किया।
❖भारत के एकमात्र राष्ट्रपति जिन्होंने चार प्रधानमंत्रियों का काल देखा – डॉ. शंकरदयाल शर्मा।
❖डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, नीलम संजीव रेड्डी, फखरुद्दीन अली अहमद ,ए. पी.अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल व रामनाथ कोविंद जो ऐसे व्यक्ति है जो सीधे ही राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए।
❖गोपाल स्वरूप पाठक , वी. डी. जत्ती, मोहम्मद हिदायतुल्ला , कृष्णकांत व भैरोसिंह शेखावत ऐसे उपराष्ट्रपति है जो राष्ट्रपति नही बन सके।