1.श्वसन – कार्बन डाई ऑक्साइड व ऑक्सीजन का विनियम जो पर्यावरण ,रक्त और कोशिकाओं के मध्य होता है ,को श्वसन कहा जाता है।रक्त ऑक्सीजन युक्तं शुद्ध वायु को कोशिकाओं तक पहुँचाता है तथा कोशिकाओं द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कर फेफड़ो के द्वारा वायुमण्डल में छोड़ता है।
2.मानव श्वसन तंत्र – मानव श्वसन तंत्र तीन भागों में विभक्त होता है –
A. ऊपरी श्वसन तंत्र – इसमे मुख्य रूपनसे नासिका, मुख, ग्रसनी, स्वरयंत्र आदि सम्मिलित हैं।
B. निचला श्वसन तंत्र – इसमे श्वास नली, फेफड़े, श्वसनी एवं श्वसनिका, कूपिका आदि सम्मिलित हैं।
C. श्वसन मांसपेशियों में मुख्य रूप से मध्य पट आता है ।इसके संकुचन से वायु फेफड़ो में प्रविष्ट होती है तथा शिथिलन द्वारा बाहर निकलती है।
3. श्वसन तंत्र की प्रक्रिया – यह दो स्तरों पर संपादित होती है –
A. बाह्य श्वसन
B. आंतरिक श्वसन
4.आंतरिक श्वसन में गैसो का विनियम कैपिलरी में प्रवाहित रक्त तथा उत्तको के मध्य विसरण के माध्यम से होता है।
5.घाटी ढक्कन (एपिग्लोटिस) यह सुनिश्चित करती है कि वायु श्वसन नली में ही जाए तथा भोजन आहारनली में ही जाए।
6.ग्रसनी व श्ववासनली को जोड़ने वाली रचना कंठ है। यह नौ उपास्थियों से बना होता है।