चौहानों का इतिहास (History of chouhans )

चौहानों का इतिहास ( History of chouhans )

1. अजमेर – सिरोही
2. रणथंभोर – बूंदी
3. जालौर – कोटा

❖ चौहानों की उत्पति :-

1. अग्निवंशीय :- (i) यह सिद्धान्त चंदरबरदाई द्वारा पृथ्वीराज रासो में दिया गया |

(ii) चार पुरुषों की उत्पत्ति (ऋषि वशिष्ठ के आबू यज्ञ से )- चौहान , चालुक्य (सौलंकी ) , परमार , प्रतिहार

(iii) मुहणोत नैणसी व सूर्यमल्ल मिश्रण ने भी स्वीकार किया |

2. विदेशी :- जेम्स टॉड, विलियम क्रुक |

3. सूर्य वंशीय :- गौरी शंकर हीराचंद ओझा

4. हाँसी शिलालेख :- चंद्रवंशी

5. वत्स गौत्रीय ब्राह्मण :- बिजोलिया शिलालेख , दशरथ शर्मा – पुस्तक The Early Chouhan Dynasty

❖ बिजोलिया शिलालेख – 1170 ई.

1. बिजोलिया के पार्श्वनाथ मंदिर में स्थित |

2. लेखक – गुणभद्र

3. वासुदेव द्वारा सांभर झील बनवाने का वर्णन है |

4. राज. के विभिन्न नगरों के प्राचीन नाम मिलते है |

5. चौहानों को वत्स गौत्रीय ब्राह्मण बताया |

❖ चौहानो का उत्पति स्थल :- सपादलक्ष (सांभर झील के आस पास का क्षेत्र ) ,राजधानी – अहिच्छत्रपुर (नागौर )

वासुदेव

❖ 551ई. चौहान राज्य की स्थापना की |

❖ गुवक :- पहला स्वत्रंत चौहान राजा , चौहान पहले प्रतिहारो के साभन्त थे |

चंद्र राज :-

❖ रानी – आत्म प्रभा (रुद्राणी )

❖ पुष्कर झील में भगवान शिव की पूजा करती थी |

❖ यौगिक क्रिया में निपूण |

अजयराज

❖ 1113 में अजमेर की स्थापना की तथा यहां पर किला (अजय भेरू दुर्ग ) बनवाया |

❖ अपनी रानी सोमलेखा के नाम के सिक्कें चलाये |

अर्णोराज

❖ अजमेर में आना सागर झील का निर्माण |

❖ पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया |

विग्रहराज चतुर्थ – 1153 – 63

❖ दिल्लीका (दिल्ली ) के तोमर राजाओ को हराया | तथा दिल्ली शिवालिक स्तम्भ लगवाया |

❖ बीसलपुर की स्थापना की यहां तालाब व शिव मंदिर बनवाया |

❖ अजमेर में संस्कृत पाठशाला का निर्माण करवाया | कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे तोड़कर अढ़ाई दिन का झोपड़ा बना दिया |

❖ विग्रह राज IV ने हरिकली( संस्कृत पाठशाला की दीवारों पर इसकी लाइने लिखी गई थी ) नाटक लिखा |

❖ दरबारी विद्वान :-

1. सोमदेव -पुस्तक – ललित विग्रह राज

2. इसका काल अजमेर के चौहानों का स्वर्ण काल था |

❖ उपाधियां :-

1. वीसलदेव – वीसलदेव बसाने के कारण

2. कविबन्धु – नरपति नाल्ह की पुस्तक – वीसलदेव रासो (गौडवाड़ी भाषा मे )

3. गौड़वाड़ी भाषा वाली पाली से आहोर (जालौर )तक बोली जाती है |

पृथवीराज चौहान III – 1177-1192

❖ पिता – सोमेश्वर

❖ माता – कर्पूरी देवी (संरक्षिका )

❖ 11 वर्ष की उम्र में राजा बना |

❖ भण्डानको ( क्षेत्र – हिसार व गुड़गांव) के विद्रोह को पृथ्वीराज ने दबाया |

❖ अपने चाचा नागार्जुन व अपरगांगय के विद्रोह को दबाया |

❖ महोबा / तुमुल का युद्ध – 1182

1. पृथ्वीराज चौहान v/s परमर्दिदेव चंदेल (महोबा )

2. पृथवीराज चौहान की विजय , परमर्दिदेव के सेनापति – आल्हा व ऊदल जो वीरता से लड़ते हुए मारे गए |

3. यहां का प्रशासक पंजूनराय को बनाया |

❖ 1187 ई. गुजरात के चालुक्य राजा भीम II पर आक्रमण किया जगदेव प्रतिहार ने संधि करवा दी |

❖ युद्ध का कारण – दोनों आबू की राजकुमारी इच्छिनी देवी से शादी करना चाहते थे | पृथ्वीराज ने शादी कर ली थी |

❖ चौहान – गहड़वाल विवाद – पृथ्वीराज चौहान – जयचंद (कन्नौज )विवाद

❖ विवाद का कारण :-

1. दिल्ली का उत्तराधिकारी

2. पृथवीराज ने जयचंद की बेटी संयोगिता से विवाह कर लिया |

3. दशरथ शर्मा ने इस प्रेम कहानी को स्वीकार किया |

❖ तराईन का द्वितीय युद्ध 1192

1. पृथ्वीराज चौहान v/s गौरी (विजय )

2. पृथ्वीराज चौहान युद्ध हार गया | पृथ्वीराज को सिरसा के पास सरस्वती नामक स्थान पर पकड़ लिया तथा मार दिया |

3. सात बहनों का शहर – दिल्ली

4. नई दिल्ली का वास्तुकार – लुटियन्स

5. हसन निजामी(पुस्तक – ताज उल मासिर) के अनुसार पृथ्वीराज ने गौरी की अधीनता में कुछ समय शासन किया |

❖ पृथ्वीराज चौहान की सांस्कृतिक उपलब्धियां :-

1. कला एवं संस्कति विभाग( मंत्री पदमनाभ ) की स्थापना की

2. दिल्ली के पास पिथौरागढ़ बनवाया |

❖ दरबारी विद्वान:-

1. चंदरबरदाई (पृथ्वी भट्ट )- पृथ्वीराज रासौ

2. जयानक – पृथ्वीराज विजय

3. जनार्दन

4. वागीश्वर

5. विद्यापति गौड़

❖ उपाधियां :-

1. रायपिथौरा – ( पिथौरा का राजा )

2. दल पूंगल ( सेनाओ का विजेता )

❖ पृथ्वीराज के मंत्री :-

1. कैमास , 2. भुवनमल्ल

रणथम्भौर के चौहान

गोविन्दराज 1194

❖ पृथ्वीराज चौहान का बेटा

❖ 1194 में रणथम्भौर में चौहान राज्य की स्थापना |

हम्मीर – 1282-1301

❖ चितोड़ – सगरसिंह, धार – भोज , भीमरस-अर्जुन (तीनों को हम्मीर ने हराया |)

❖ 1292 में जलालुद्दीन खिलजी के हमले को विफल कर दिया | जलालुद्दीन ने कहा था “मैं ऐसे दस किलों को मुसलमान के एक बाल के बराबर नही समझता “|

❖ अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण 1301 :-

कारण – हम्मीर ने अलाउद्दीन के विद्रोही मुहम्मदशाह व केहब्रु को शरण दी |

❖ अलाउद्दीन के सेनापति – नुसरत खां – लड़ते हुए मारा गया, उलुग खान , अलप खान |

❖ हम्मीर के सेनापति :- धर्म सिंह , भीमसिंह

❖ रणमल व रतिपाल ने हम्मीर से विश्वास घात किया ।

❖ 1301 में रणथम्भौर में साका हुआ । रानी रंगदेवी ने जौहर किया । हम्मीर ने नेतृत्व में केसरिया किया गया।

❖ यह राजस्थान का पहला साका था ।

❖ हम्मीर की बेटी देवलदे (जल जौहर ) पद्मतालाब में कूद कर आत्म हत्या कर लेती है

❖ जौहर की जानकारी – खुसरो की पुस्तक- खजाइन उल फुतुल(फ़ारसी भाषा मे जौहर का प्रथम वर्णन ।)

❖ दुर्ग का भार – उलुग खाँ को

❖ हम्मीर की सांस्कृतिक उपलब्धियां :- 1. पुस्तक – श्रंगारहार

2. हम्मीर ने कोटि यज्ञ(पुरोहित – विश्व रूप ) का आयोजन करवाया

3. रणथम्भौर में 32 खम्भो ( अपने पिता जैत्रसिंह के 32 साल शासन की याद में ।) की छतरी बनवाई ।

❖ दरबारी विद्वान :- 1. बीजा दित्य 2. राघव देव

❖ हम्मीर की उपलब्धियां का वर्णन :-

1. नयन चंद्र सूरी – हम्मीर महा काव्य , सुर्जन चरित्र

2. जोध राज – हम्मीर रासो

3. चंद्रशेखर – हम्मीर हठ

जालौर के चौहान

❖ जालौर का प्राचीन नाम – जाबालीपुर (ऋषि जाबालि के कारण )

❖ यहां जाल के पेड़ ज्यादा थे । इसलिये नाम जालौर पड़ा।

❖ जालौर का किला सोनगिरि का किला या सुवर्ण गिरी का किला कहलाता है ।

❖ स्वर्ण गिरी का किला – जैसलमेर

❖ जालौर में योगदान चौहानो का शासन था ।

कीर्तिपाल

❖ 1182 में जालौर में चौहान राज्य की स्थापना ।

❖ इसने चितोड़ के साभन्त सिंह को हरा दिया था।

❖ नैणसी की ख्यात में कीतू (कीर्तिपाल) को महान राजा बताया गया है।

कान्हड़देव सोनगरा

❖ अलाउद्दीन खिलजी का सिवाना पर आक्रमण 1308 :-

1. इस समय सिवाणा का पहला साका हुआ । सातल व सोम के नेतृत्व में साका किया गया ।

2. इस युद्ध मे भायल सैनिक ने विश्वास घात किया ।

3. अलाउद्दीन ने सिवाणा का नाम खैरावाद रखा ।

4. सिवाना का जालौर की चाबी कहा जाता है ।

❖ अलाउद्दीन खिलजी का जालौर पर आक्रमण 1311 :-

1. कान्हड़देव व वीरमदेव के नेतृत्व में साका हुआ ।

2. जालौर का नाम अलाउद्दीन खिलजी ने जलालाबाद रखा ।

❖ पदमनाभ की पुस्तकें – कान्हड़देव प्रबंध , वीरम देव सोनगरा री वात

❖ फिरोजा :- अलाउद्दीन की बेटी जो वीरम देव को पसंद करती थी |

❖ गुल विहिश्त :- फिरोजा की धाय माँ

❖ कमालुद्दीन गुर्ग :- अलाउद्दीन खिलजी का सेनापति

❖ बीका दहिया :- कान्हड़देव सोनगरा से विश्वास घात | इसे इसकी पत्नी ने मार दिया |

सिरोही के चौहान

❖ यहां चौहानों की देवड़ा शाखा का शासन था |

लुम्बा

❖ 1311 में आबू व चंद्रावती को जीत लिया |

❖ राजधानी – चंद्रावती

सहसमल

❖ 1425 में सिरोही की स्थापना व राजधानी बनाई |

सुरताण

❖ दत्राणि का युद्ध 1583 :-

1. सुरताण (विजय)v/s अकबर (सेनापति – जगमाल और रायसिंह )

❖ दुरसा हाडा की पुस्तक – राव सुरताण रा कबित

❖ दुरसा हांडा ने अकबर की तरफ से युद्ध मे भाग लिया |

शिवसिंह

❖ 1823 में अंग्रेजों संधि

❖ अंग्रेजो से संधि करने वाली अंतिम रियासत |

बूंदी के चौहान

❖ चौहान वंश की हाड़ा शाखा का शासन था |

❖ इससे पहले यहां मीणा शासकों का अधिकार था |

❖ बूंदा मीणा के कारण यहां का नाम बूंदी पड़ा|

❖ रणकपुर अभिलेख में बूंदी का नाम बृन्दावली है |

देवा : –

❖ 1241 में जेता मीणा को हरा कर हाड़ा राज्य की स्थापना |

जैत्रसिंह ;-

❖ कोटा को जीतकर बूंदी में मिला लिया |

बरसिंह

❖ 1354 ने अकबर की अधीनता स्वीकार की | इसमें भगवान दास की मुख्य भूमिका थी |

❖ द्वारिका में रणछोड़ मंदिर बनवाया |

❖ दरबारी विध्दान :-

1. चंद्रशेखर :- सुरजन चरित्र , हम्मीर हठ

बुधसिंह

❖ बुध सिंह ने गोद लिया :- दलेल सिंह (सवाई जयसिंह – समर्थन ), उम्मेदसिंह(अमर कंवर(मराठा मल्हार राव होल्कर) समर्थन ,

❖ बूंदी पहली रियासत थी जिसमे मराठों ने हस्तक्षेप किया |

❖ अमर कंवर :-

1. सवाई जयसिंह की बहन तथा बुध सिंह की पत्नी थी |

2. मल्हार राव होल्कर को भाई बनाया था |

❖ कृष्णा कंवर :-

सवाई जयसिंह की बेटी तथा दलेल सिंह की पत्नी

❖ बुध सिंह की पुस्तक – नेहतरंग

विष्णु सिंह :-

❖ 1818 में अंग्रेजों से संधि |

कोटा के चौहान

❖ चौहान वंश की हाड़ा शाखा का शासन

माधोसिंह

❖ बूंदी के राजा रतनसिंह का बेटा |

❖ 1631 में शाहजंहा ने इसे कोटा का स्वत्रंत शासक बनाया |

मुकुन्द सिंह

❖ धरमत के युद्ध मे लड़ता हुआ मारा गया | (दारा की ओर से लड़ा )

❖ कोटा में अबली मीणी का महल बनवाया |

भीमसिंह

❖ यह वल्लभ सम्प्रदाय का अनुयायी था |

❖कोटा का नाम बदलकर नंदग्राम कर दिया |

❖ बूंदी के बुध सिंह को हराया तथा बूंदी का बदलकर फरुखाबाद कर दिया |मुगल बादशाह फरुखसियर के कहने पर |

उम्मेदसिंह

❖ 1817 में अंग्रेजों से संधि |

❖ संधि की शर्तें :-

1. उम्मेदसिंह व उसके वंशज कोटा के राजा होंगे |

2. जालिमसिंह झाला व उसके वंशज हमेशा कोटा के दीवान बने रहेंगे तथा सारी शक्तियां दिवान के पास होगी |(यह पूरक संधि थी)

किशोरसिंह द्वितीय

❖ मांगरोल का युद्ध 1821 :-

1. किशोरसिंह द्वितीय v/s झामिलसिंह झाला (विजय)

2. कर्नल जेम्स टॉड ने जालिमसिंह झाला का साथ दिया |

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