1.विजयादित्य किसके दरबार मे कवि थे ?
A.पृथ्वीराज चौहान
B.हम्मीर
C.रावल रत्नसिंह
D.महाराणा कुम्भा
रणथंभौर के राजा हम्मीर चौहान के दरबार मे विजयादित्य उसका सम्मानित कवि व रागवदेव उसका गुरु था।
2.हम्मीर हठ ‘ नामक ग्रंथ की रचना किसने की ?
A.अमृत कैलाश
B.चंद्रशेखर
C.जोधराज
D.हम्मीरायण
हम्मीर हठ राजशेखर द्वारा लिखी गई । हम्मीर के बारे में अन्य ग्रंथ – हम्मीर महाकाव्य – नयनचंद्र सूरी , हम्मीरायण – व्यास भांड ,हम्मीर रासो – जोधराज ,हम्मीर बंधन – अमृत कैलाश।
3.मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना के समय दिल्ली पर किस शासक का शासन था ?
A.बाबर
B.हुमायूँ
C.शेरशाह सूरी
D.रावल रतनसिंह
1540 ई. में मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना की , उस वक्त दिल्ली पर शेरशाह सूरी का शासन था।
4.महाराणा कुम्भा द्वारा रचित संगीतराज के कितने भाग है ?
A.तीन
B.चार
C.पांच
D.सात
महाराणा कुम्भा द्वारा रचित संगीतराज के पांच भाग थे – 1. पाठरत्नकोश 2.गीत रत्नकोश 3.वाद्य रत्नकोश 4.नृत्य रत्न कोश 5. रस रत्नकोश।
5.तीर्थमाला नामक प्रसिद्ध रचना किसकी थी ?
A.मण्डन
B.कान्ह व्यास
C.कवि मेहा
D.नाथा
महाराणा कुम्भा के समय कवि मेहा ने तीर्थमाला की रचना की जिसमे 120 तीर्थों का वर्णन है।
6.किस ग्रंथ के अनुसार महाराणा कुम्भा ने मेवाड़ में 84 दुर्गों में से 32 दुर्गों का निर्माण करवाया ?
A.कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति
B.वीर विनोद
C.कुम्भलगढ़ शिलालेख
D.एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान
कवि राज श्यामलदास की रचना वीर विनोद में ।
7.कौनसे क्रांतिकारी संगठन के सदस्य को मुक्ति संग्राम से जुड़ने के लिए विजय स्तम्भ के नीचे शपथ लेनी पड़ती थी ?
A.होमरूम लींग को
B.अभिनव भारत समिति को
C.आजाद मोर्चा को
D.मेवाड़ प्रजामंडल को
अभिनव भारत समिति के सदस्य को ।
8.अमरकाव्य वंशावली के अनुसार साँगा का अंतिम संस्कार किस स्थान पर किया गया ?
A.कालपी में
B.मांडलगढ़ में
C.बसवा में
D.इरिच
अमरकाव्य वंशावली के अनुसार साँगा का अंतिम संस्कार मांडलगढ़ में किया गया । कालपी में राणा सांगा का देहांत हुआ
9.किस शासक को मारवाड़ का भूला बिसरा नायक कहा जाता है ?
A.जसवंतसिंह को
B.चंद्रसेन को
C.उदयसिंह को
D.तख्तसिंह को
चंद्रसेन को मारवाड़ का भुला बिसरा शासक कहा जाता है।
10.चन्द्रसेन ने आनंदराम पंचोली को कौनसी जगह का किलेदार नियुक्त किया था ?
A.सोजत का
B.सरवाड़ का
C.सिवाना का
D.पोकरण का
चन्द्रसेन ने आनंदराम पंचोली को पोकरण का किलेदार नियुक्त किया था इस पर 1575 ई. में जैसलमेर के रावल हरराय ने आक्रमण किया । चार मास के घेरे के बाद रावल हरराय ने चन्द्रसेन के सामने प्रस्ताव रखा कि एक लाख फदियें के बदले मुझे पोकरन दे दो।