History of Marwar मारवाड़ का इतिहास
❖ राठौड़ वंश :- सुर्य वंशी हिन्दू थे ।
❖ राठौडो की उत्पत्ति :- कन्नौज (गहड़वाल),दक्षिणी भारत (राष्ट्र कूट)
❖ राव सीहा :-
1. यह 1240 में कन्नौज से पालीवाल ब्राह्मणो की सहायता के लिए आया ।
2 . राजधानी खेड़ (बाड़मेर )
3. छतरी – बिठू (पाली)
❖ धुहड़ :–
अपनी कुलदेवी नागणेशी माता (मंदिर – नागाणा बाड़मेर )की मूर्ति कर्नाटक से लाय।
❖ मल्लीनाथ :-
1. राजधानी मेवानगर बाड़मेर ।
2. मल्लीनाथ जी राज. के लोकदेवता है ।
3. बाड़मेर क्षेत्र को मालानी कहा जाता हैं ।
4. गणगौर पर गींदौली के गीत गाये जाते है ।
❖ चूंडा
1. प्रतिहारो ने अपनी राज कुमारी (इंद्रा ) की शादी चूंडा से की तथा मंडौर को दहेज में दिया |
2. राजधानी _ मंडौर
❖ जोधा :–
1. 1459 में जोधपुर की स्थापना , जोधपुर में मेहरानगढ़ दुर्ग की स्थापना(नींव – कुंतीं माता द्वारा , चिड़ियाट्रक पहाड़ी पर )
2. आवल बावल की संधि :- 1453 जोधा v/s राणा कुम्भा
❖ मालदेव (1531-1562)
1. अपने पिता गंगा की हत्या करके राजा बना ।
2. राजतिलक के समय मालदेव के पास 2 परगने थे , बाद में मालदेव ने 52 युद्ध तथा 58 परगने जीते थे ।
❖ पाहेवा / साहेवा का युद्ध :- 1541 मालदेव और जैतसी (बीकानेर) के बीच (मालदेव विजय )
1. इस युद्ध मे जैतसी लड़ता हुआ मारा गया । मालदेव ने इस युद्ध मे बीकानेर पर अधिकार कर लिए ।
2. जैतसी का पुत्र कल्याणमल सहायता के लिए शेरशाह सूरी के पास चला गया ।
3. मालदेव ने मेड़ता पर भी अधिकार कर लिया तथा मेड़ता का राजा वीरमदेव शेरशाह सूरी के पास चला गया ।
❖ मालदेव – हुमायूँ संबंध :-
1. हुमायूँ ने शेरशाह सूरी के खिलाफ सहायता के लिए जोगी तीर्थ से तीन दूत (अलका खां, मीरसमन्द,रायमल सोनी) भेजे ।
2. मालदेव ने सकरात्मक उत्तर दिया तथा हुमायूँ को बीकानेर देने का वादा किया , लेकिन हुमायूँ विश्वास नही करता तथा अपने पुस्तकालयाध्यक्ष मुल्ला सुर्ख के कहने पर सिंध की तरफ चल जाता है ।
3. हुमायूँ ने अमरकोट के राजा विरसाल सोढा के पास शरण ली ।
❖ गिरी – सुमेल / जेतारण का युद्ध :- 1544 ई.
1. मालदेव(जेता ,कूंपा ,) और शेरशाह सूरी के बीच (शेरशाह सूरी विजय )
2. जलालखां जलवानी की सहायता से शेरशाह सूरी जीत गया ।
3. शेरशाह सूरी ने कहा ” मैं मुठ्ठी भर बाजरे के लिये हिंदुस्थान की बादशाहत खो देता “
4. शेरशाह सूरी ने जोधपुर पर अधिकार कर लिया तथा खवास खां को जोधपुर सौंफ दिया ।
5. मालदेव सिवाना (बाड़मेर)(मारवाड़ के राठौडो की शरण स्थली ) चला गया ।
6. थोड़े दिनों बाद मालदेव ने पुनः जोधपुर पर अधिकार कर लिया ।
7. बारात का डेरा देखने जाते समय महिलाओ द्वारा गाया जाने वाला गीत – जला
❖ उमादे :-
1. मालदेव की पत्नी।
2. जैसलमेर के लूणकरण भाटी की पुत्री।
3. इसे रूठी रानी कहा जाता है ।
4. भारमली नामक दासी की वजह से नाराज हो गई ।
❖ दरबारी विद्वान :-
1. ईसरदास :- हाला – झाला री कुंडलिया (सुरसतसईं), देवीयाण, हरिरस ।
2. आशानंद :- (i)उमादे भटियाणी र कवित ,(ii) बाघा – भारमली दुहा ,(iii) इन्होंने पाहेना के युद्ध मे भाग लिया था ।
(iv) मालदेव ने जोधपुर का परकोटा बनाया ।
(v) किले बनवाये सोजत ,मेड़ता,रिया , पोकरण (नागौर)
❖ उपाधियों :- हिन्दू बादशाह , हसमत वाला राजा – वैभव शाली राजा।
2. मालदेव ने अपने बड़े बेटे राम व उदयसिंह को राजा नही बनाया तथा छोटे बेटे चन्द्र सेन को राजा बना दिया | दोनों अकबर के पास चले गए ।
चन्द्रसेन
❖ अकबर ने राम कि सहायता के लिए जोधपुर पर आक्रमण कर दिया । चंद्रसेन भाद्राजूण ( जालोर) चला गया ।
❖ नागौर दरबार 1570:-
1. अकबर के नागौर दरबार मे चंद्रसेन ने भाग लिया ।
2. अकबर को अपने बड़े भाई उदयसिंह के पक्ष में देखकर वापस चला गया ।
3. अकबर ने भाद्राजूण पर आक्रमण कर लिया ।
4. चंद्रसेन सिवाना चला गया ।
5. चंद्रसेन ने आजीवन अकबर से संघर्ष किया , लेकिन उसकी अधीनता नही की |
6. 1581 में सारन की पहाड़ियों में सिंचियाई नामक गाँव मे मृत्यु हो गई ।
उपाधियों :-
1. मारवाड़ का प्रताप
2. प्रताप का अग्रगामी
3. मारवाड़ का भूला – बिसरा राजा ।
अकबर ने बीकानेर के रायसिंह को जोधपुर का प्रशासक बनाया था (1572-1574)
❖ नागौर दरबार 1570
1. अकबर ने आयोजित किया ।
2. अकाल राहत कार्यो के कारण
❖ वास्तविक कारण :- राज. के राजाओं को अधीनता स्वीकार करवाना ।
❖ सामेला बारात का स्वागत करना ।
❖ अधीनता स्वीकार की :-
1. कल्याणमल ( बीकानेर )
2. हरराज ( जैसलमेर )
3. उदयसिंह (चंद्रसेन का भाई)
4. इस समय अकबर ने नागौर में शुक्रतालाब बनवाया ।
मोटाराजा उदयसिंह
❖ मारवाड़ का पहला राजा जिसने अकबर की अधीनता स्वीकार की ।
❖ अपनी बेटी मानी बाई (जोधा बाई){उपाधि – जगत गुसाई ,बेटा – खुर्रम (शाहजहां )} की शादी जहांगीर से की ।
❖ कल्ला रायमलौत:-
1. उदयसिंह के भाई रायमल का बेटा था ।
2. यह सिवाना का सामन्त था ।
3. 1590 में अकबर ने सिवाना पर आक्रमण किया ।
4. कल्ला रायमलौत के नेतृत्व में सिवाना का दूसरा साका हुआ ।
5. बीकानेर के पृथ्वीराज राठौड़ ने कल्ला रायमलौत के मरसिये लिखे ।
गजसिंह
❖ अनारा बेगम के कहने पर अपने छोटे बेटे जसवंत सिंह को जोधपुर का राजा बनाया तथा बड़ा बेटा अमरसिंह को नागौर का राजा बनाया ।
❖ अमरसिंह राठौड़ ( मतीरे की रॉड 1644)
1. छतरी – नागौर में (16 खंभो की )
2. अमरसिंह (नागौर ) v/s कर्णसिंह (बीकानेर )
3. अमरसिंह ने शाहजहां के दरबार मे उसके मिरबरसी सलावत को मार दिया था ।
4. अमरसिंह को कटार का धणी कहा जाता है ।
5. अमरसिंह की हत्या उसके साले अर्जुन सिंह गोड़ ने की ।
6. आगरा किले के बुखारा दरवाजा को अमरसिंह दरवाजा कहा जाता है ।शाहजहां ने इसे बंद करवा दिया था जिसे 1809 में जॉर्ज स्टील ने खुलवाया था ।
जसवंत सिंह
❖ इसकी हांडी रानी जसवंत दे धरमत के युद्ध से हारकर वापस आने पर किले के दरवाजे बंद कर दिए थे ।
❖ खजुआ के युद्ध में ओरंगजेब की तरफ से भाग लेता है लेकिन बाद में सूजा से मिल गया ।
❖ ओरंगजेब ने जसवंतसिंह को काबुल का गवर्नर बनाया था ।
❖ 1678 में जमरूद का थाना ( अफगानिस्तान ) में मृत्यु ।
❖ ओरंगजेब ने कहा ” आज कुफ्र का दरवाजा टूट गया “
❖ पुस्तके :-
1. आनंद विलास
2. भाषा भूषण
3. प्रबोध चंद्रोदय
4. अपरोक्ष सिध्दांत सार
❖ रानी जसवंत दे ने जोधपुर में राई का बाग महल बनवाया ।
❖ दरबारी विद्वान् :-
1. मुहणोत नैणसी:- नैणसी व उसके भाई सुन्दर दास ने जेल में आत्महत्या कर ली थी ।मुंशी देवी प्रसाद ने राजपूताने का अबुल फजल कहा ।
2. नैणसी री ख्यात ( राज, की पहली ख्यात) ,इसे मारवाड़ का गजट कहा जाता है । इस पुस्तक में जनगणना का वर्णन है ।
❖ पृथ्वीसिंह :-
1. जसवंत सिंह का बेटा
2. इसने शेर के साथ लड़ाई की थी ।
3. ओरंगजेब की जहरीली पोशाक से मृत्यु ।
4. ओरंगजेब ने जसवंत सिंह के दो बेटो अजीतसिंह व दलथम्भन को दिल्ली के रूपसिंह राठौड़ की हवेली में नजरबंद कर दिया ।
5. ओरंगजेब ने इंद्रसिंह राठौड़ (अमरसिंह राठौड़ का पोता ) 36 लाख रुपये लेकर जोधपुर का राजा बना दिया ।
6. दुर्गादास राठौड़ मुकुंददास खींची व गौरा की सहायता से अजीतसिंह को जोधपुर लेकर आ जाता है ।
7. गौरा को मारवाड़ की पन्नाधाय कहा जाता है ।
❖ धुसो :-
1. मारवाड़ का राष्ट्रीय गीत
2. इसमें गौरा का नाम लिया जाता है ।
3. गौरा की छतरी जोधपुर में है ।
अजीतसिंह
❖ दुर्गादास राठौड़ ने अजीतसिंह को कालिंदी गांव में जयदेव पुरोहित के पास रखा ।
❖ मेवाड़ के राजसिंह ने अजीतसिंह को समर्थन दिया ।
❖ ओरंगजेब ने नकली अजीतसिंह का नाम मुहम्मदीराज रखा तथा अपनी बेटी जेबुनिसा को सौप दिया ।
❖ राजसिंह तथा दुर्गादास राठौड़ ने ओरंगजेब के बेटे अकबर से विद्रोह करवा दिया , लेकिन अकबर दक्षिण भारत मे शम्भाजी के पास चला गया ।
❖ बुलन्द अख्तर और सफियतु निस्सा :- अकबर के पुत्र -पुत्री थे । इनका पालन पोषण दुर्गादास राठौड़ ने किया ।
❖ ईश्वरदास नागर की सलाह पर दुर्गादास ने इन्हें ओरंगजेब को सौप दिया ।
❖ 1708 में अजीतसिंह जोधपुर का राजा बना । देवारी समझौता 1708 के बाद
❖ अजीतसिंह को राजा बनाने के लिये दुर्गादास ने 1678 – 1708 तक संघर्ष किया इसे मारवाड़ का तीस वर्जीय संघर्ष कहा जाता है ।
❖ अजीतसिंह ने दुर्गादास राठौड़ को मारवाड़ से निष्कासित कर दिया ।
❖ अजीतसिंह ने अपनी बेटी इन्द्र कंवर की शादी मुगल बादशाह फर्रुखसियर से की । यह अंतिम हिन्दू राजकुमारी थी जिसकी शादी मुगल बादशाह से की ।
❖ अजीतसिंह की हत्या इसके बेटे बख्तसिंह ने कर दी ।
❖ अजीतसिंह के अंतिम संस्कार में कुछ पशु – पक्षी जलकर मर गये थे ।
❖ दुर्गादास राठौड़ :-
1. जन्म – सालवा (जोधपुर )
2. पिता – आसकरण
3. आसकरण ने दुर्गादास को लूणेवा की जागीर दी ।
4. अजीतसिंह द्वारा निष्कासित किये जाने पर मेवाड़ के राजा अमरसिंह द्वितीय ने दुर्गादास राठौड़ को रामपुरा व विजय पुर गांव दिए ।
❖ दुर्गादास की छतरी – उज्जैन (क्षिप्रा नदी के तट पर )
❖ उपाधियां :-
1. राठौडो का युलिसेस :- जेम्स टॉड द्वारा
2. राजपूताने का गैरीबाल्डी
3. मारवाड़ का अणविंधिया मोती
छप्पनीयां का अकाल – वि. सं. 1956(1899ई.)
अभयसिंह
❖ खेजड़ली घटना :-
1. भाद्रपद शुक्ल दशमी
2. वि. सं. 1787 (1730ई.)
3. अमृतादेवी विश्नोई के नेतृत्व में 363 लोग पेड़ों को बचाने के लिए शहीद हो गए ।
4. जोधपुर में अमृतादेवी कृष्ण मृग पार्क ।
5. 1904 अमृता देवी (प्रथम विजेता – गंगाराम विश्नोई )पुरस्कार
6. विश्व का एक मात्र वृक्ष मेला – खेजड़ली गाँव
❖ दरबारी विद्वान् :-
1. करणीदान – सूरज प्रकाश ( बिड़द सिणगार)
2. वीरभाण- राजरूपक ( करणीदान और वीरभाण दोनों पुस्तको में अभयसिंह के अहमदाबाद आक्रमण का वर्णन है ।
मानसिंह
❖ मानसिंह जब जालौर में था तो देवनाथ ने इसके राजा बनने की भविष्य वाणी की ।
❖ जोधपुर में नाथ सम्प्रदाय के लिये महामंदिर बनवाया ।
❖ मानसिंह ने नाथ चरित्र नामक पुस्तक लिखी ।
❖ जोधपुर में मान पुस्तकालय बनवाया ।
❖ 1818 में अंग्रेजों (EIC) से संधि ।
❖ मारवाड़ का सन्यासी राजा कहा जाता है ।
❖ दरबारी विद्वान :-
1. कविराज बांकीदास – बांकीदास ख्यात , मान जसो मण्डन , कुकबी वतीसी, दातार बावनी |( गीत – आयो अंग्रेज मुल्क रे ऊपर )इस गीत में अंग्रेजों का साथ देने वाले राजाओ की आलोचना है ।
❖ गिगोली का युद्ध 1807 :- मेवाड़ के इतिहास में पद लिया ।
❖ तखतसिंह :- 1857 की क्रांति के समय शासक
❖ हनुमंत सिंह :- राजस्थान के एकीकरण के समय शासक।
क्रांति के समय मारवाड़ का शासक तख्त सिंह था, जसवंत सिंह ii नहीं था
नोट्स अच्छे बनाए हैं
थैंक्स