गुर्जर प्रतिहार वंश

  • उत्तरी – पश्चिमी भारत में गुर्जर प्रतिहार वंश का शासन 6 से 10 वी सदी तक रहा |
  • छठी सदी में राजस्थान का पश्चिमी क्षेत्र ‘गुर्जरत्रा ‘कहलाता था ,इसलिए प्रतिहारो को ‘गुर्जेरेश्वर ‘ कहा जाने लगा |
  • कालान्तर में अधिकांश शिलालेखो में उन्हें गुर्जर – प्रतिहार कहा जाने लगा |
  • प्रारम्भ में इनकी शक्ति का मुख्य केंद्र मारवाड़ था |उस समय राजपूताना का यह क्षेत्र गुर्जरात्रा या गुर्जर प्रदेश कहलाता था |
  • मंडौर के पश्चात् भीनमाल ,उज्जैन तथा कन्नौज को इन्होने अपनी शक्ति का केंद्र बनाया |
  • चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने वर्णन में 72 देशों में एक कू -चे-लो (गुर्जर ) बताया है |
  • ह्वेनसांग ने गुर्जर राज्य की राजधानी का नाम ‘पीलोभोलो ‘(भीनमाल ) बताया |
  • ह्वेनसांग को यात्रियों का राजकुमार तथा नीति का पंडित कहा जाता है |
  • ह्वेनसांग हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया था |
  • ह्वेनसांग ने हर्षवर्धन द्वारा आयोजित कन्नौज व प्रयाग के धर्म सम्मेलनों में भाग लिया था |
  • 641 ई . में ह्वेनसांग ने पल्लववंश के शासक नरसिंह वर्मन के शासन काल में कांची की यात्रा की |
  • ह्वेनसांग ने बताया कि हर्षवर्धन उपज का 1/6 भाग कर के रूप में लेता था |
  • ह्वेनसांग ने सी यू की ग्रन्थ की रचना की |
  • बाणभट्ट ने अपनी पुस्तक ‘हर्षचरित ‘में गुर्जरों का वर्णन किया है |
  • चालुक्य नरेश पुल्केशियन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख मिलता है |
  • मुह्नोत नेणसी ने प्रतिहारो की 26 शाखाओ का उल्लेख किया है |

मंडोर के गुर्जर प्रतिहार

हरिश्चंद्र

  • रोहिलध्दी नाम से प्रसिध्द हरिश्चन्द्र प्रतिहार वंश का संस्थापक /गुर्जर प्रतिहारो का आदि पुरुष कहा जाता है |हरिश्चंद्र के दो पत्नियाँ थी -एक ब्राह्मणी व दूसरी क्षत्राणी |
  • क्षत्राणी पत्नी भंद्रा के चार पुत्र 1.भोगभट्ट 2.कध्द्क 3.रज्जिल 4.दह
  • इन चारो भाइयो ने मिलकर मंडोर पर अधिकार करके उसकी सुरक्षा के लिए उसके चारो ओर परकोटा बनवाया |

रज्जिल 

  • रज्जिल ने 560 ई . में प्रतिहार राजवंश की स्थापना की |
  • उन्होंने मंडोर की स्थापना करके उसे राजधानी बनाया |
  •  इन्होने जोधपुर के राहिसकूप नगर में महामंडलेश्वर महादेव का मंदिर बनवाया |

नागभट्ट प्रथम 

  • रज्जिल के पोते नागभट्ट प्रथम ने मेड़ता पर अधिकार कर लिया था |
  • मेड़ता को नागभट्ट ने अपनी राजधानी बनाया |

शीलुक 

  • शीलुक मंडोर के प्रतिहार वंश के दसवे शासक थे |
  • शीलुक ने वल्लमंडल के देवराज भाटी को पराजित किया |
  • शीलुक ने जोधपुर में सिद्धेश्वर महादेव मंदिर बनवाया |

कक्कुक 

  • बाउक के बाद कक्कुक मंडोर के प्रतिहारो का शासक बना |
  • कक्कुक ने 918 ई . में घटियाला का शिलालेख उत्कीर्ण करवाया |

जालौर ,उज्जैन और कन्नौज के प्रतिहार

नागभट्ट प्रथम

  • जालौर में गुर्जर प्रतिहार वंश के संस्थापक नागभट्ट प्रथम थे।
  • नागभट्ट प्रथम को नागावलोक  व इनके दरबार को नागावलोक दरबार का जाता है।
  • नाग भट्ट  प्रथम ने भीनमाल को प्रथम राजधानी तथा उज्जैन को दूसरी राजधानी बनवाया।
  • आठवीं सदी के प्रथम चरण में नागभट्ट प्रथम ने उज्जैन में एक नवीन गुर्जर प्रतिहार राजवंश की स्थापना की।
  • नागभट्ट प्रथम को इंद्र के दंभ का नाशक, नारायण की मूर्ति का प्रतीक तथा राम का प्रतिहार कहा जाता है।
  • ग्वालियर अभिलेख से जानकारी मिलती है कि मलेच्छ सेना को पराजित किया था।
  • पुलकेशिन द्वितीय के ऐहोल अभिलेख से जानकारी मिलती है की नागभट्ट प्रथम प्रतिहार साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था।
  • ग्वालियर अभिलेख में नागभट्ट प्रथम को नारायण की उपाधि दी गई।
  • साहित्यिक स्रोतों में नागभट प्रथम को रघुकुल तिलक तथा रघुवंश मुकुट मणि नाम से संबोधित किया।

कक्कुक व देवराज

  • नागभट्ट प्रथम के पश्चात उसका भतीजा कक्कुक शासक बना
  • इनकी जानकारी ग्वालियर अभिलेख से मिलती है।

वत्सराज (783 -795  ई. तक)

  • रण हस्तिन के नाम से प्रसिद्ध वत्सराज को प्रतिहार राज्य की नींव डालने वाला शासक कहा जाता है।
  • वत्सराज ने जालौर को अपनी राजधानी बनाया।
  • वत्सराज के शासनकाल में आठवीं नौवीं सदी में व्यापार एवं वाणिज्य के रूप में विकसित कन्नौज नगर पर अधिकार हेतू 100 वर्षों तक गुर्जर प्रतिहारो, बंगाल के पालो एवं दक्षिण की राष्ट्रकूटो के मध्य त्रिपक्षीय संघर्ष चलता रहा, जिसमें अनंत विजय श्री गुर्जर प्रतिहा रो को मिली।
  • वत्सराज ने कन्नौज के शासक इंद्रायुद्ध को पराजित करके कन्नौज पर अधिकार कर लिया।
  • बंगाल के पाल वंश राजा धर्मपाल को पराजित किया
  • वत्सराज को दक्षिण के राष्ट्रकूट शासक ध्रुव प्रथम ने पराजित किया।
  • वत्स राज के समय उद्योतनसुरी द्वारा कुवलयमाला तथा 783 ई. में जिनसेन सूरी द्वारा हरिवंश पुराण ग्रंथ की रचना की।

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